प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में बुजुर्ग नन से सामूहिक बलात्कार और हरियाणा में एक चर्च तोड़े जाने की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इन पर तत्काल रिपोर्ट मांगी है।
पश्चिम बंगाल में 70 साल की एक नन के साथ कथित बलात्कार और हरियाणा में एक निर्माणाधीन चर्च को गिराए जाने का मुद्दा आज राज्यसभा में उठा और सदस्यों ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि पर चिंता जताते हुए इस पर सदन में चर्चा कराए जाने की मांग की।
नई फिल्म एनएच 10 की हिंसा प्रतिरोध की नहीं प्रतिशोध की हिंसा है। निर्देशक नवदीप सिंह ने मूल कहानी को पृष्ठभूमि में रख कर उस कहानी के बहाने कई बातें साधने की कोशिश की है। यह प्रयोग नया तो नहीं है पर हाल के सिनेमा में सीधी-सीधी बातें कह देने से अलग जरूर है।
पश्चिम बंगाल में एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत ने भारतीय जनता पार्टी के मंसूबे पर पानी फेर जिसमें पार्टी का दावा था कि उसका जनाधार बढ़ रहा है।
राजधानी के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर नागरिकों की एक अनुसंधान टीम के साथ घोर मोआवादी प्रभाव वाले एक जिले में गए जहां उनके एक पूर्व छात्र पुलिस अधीक्षक हैं। पुलिस अधिकारी की अपने पूर्व शिक्षक से मुलाकात का यह गर्वीला क्षण था, उन्होंने अपने गुरु के पांव छुए और उनके साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई। नागरिक अनुसंधान टीम ने तब तक प्रशासन, पुलिस और सरकार समर्थित नक्सल विरोधी सशस्त्र निजी सेना का पक्ष ले लिया था इसलिए प्रोफेसर ने माओवादियों का पक्ष लेने के लिए नदी पार जाने की बात कही। इस पर शिष्य पुलिस अधीक्षक तपाक से बोले, सर, आप उस पार गए कि दुश्मन की तरफ होंगे और हमारी गोली खा सकते हैं। मैंने जानबूझकर दोनों लोगों का नाम छिपाया है ताकि एक निजी गुफ्तगू दोनों के लिए सार्वजनिक झेंप की वजह न बन जाए। लेकिन उनकी बातचीत से प्रशासन की ताजा मानसिकता पता चलती है: कि अब नक्सलवादियों के साथ निबटने में बीच की कोई जनतांत्रिक जमीन नहीं बची है। न सिविल हस्तक्षेप की कोई पहल, जैसे जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में बिहार के मुसहरी में की थी। अब प्रतिनिधि शासन और माओवादियों के बीच बस मैदान-ए-जंग है।