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हिरोशिमा और सुरक्षित दुनिया के आश्‍वासन के 70 साल

हिरोशिमा और सुरक्षित दुनिया के आश्‍वासन के 70 साल

जापान पर नृशंस परमाणु बमबारी के सत्तर साल आज पूरे हुए। 6 और 9 अगस्त 1945 को जो डेढ़ से दो लाख नागरिक हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका के गिराए बमों से तत्काल मारे गए, शायद एक मायने में उनसे ज्यादा उन्होंने झेला जो जिंदा रह गए। एक खास बात जो इस पीढ़ी और अणुबम-जनित बीमारियों को झेलती बाद की पीढ़ियों में देखी गई वो यह कि उनमें किसी बदले की भावना की जगह दुनिया को परमाणु मुक्त बनाने की आकांक्षा ने ले ली, क्योंकि मानवीय हिंसा के इस सर्वाधिक संहारक हथियार के बाद शायद अब वापस ही लौटा जा सकता था।
काठमांडूः बचाई जा सकती थी हजारों जानें

काठमांडूः बचाई जा सकती थी हजारों जानें

बेतरतीब निर्माण ने बढ़ाया विनाश का दायरा, सही नियोजन से 90 फीसदी नुकसान रोका जा सकता था, जापान से कुछ भी नहीं सीखा, आने वाले दिनों में बड़े भकंपों की आशंका, धरती की चट्टानों में बढ़ रही ऊर्जा की हलचल
आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

लीबिया में इस्लामिक स्टेट (आइएस) समूह के आतंकियों ने 21 ईसाईयों का सर कलम कर हत्या कर दी है। इस घटना के बाद मिस्र ने आतंवादियों के ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दी है। मारे गये लोगों का ताल्लुक कोप्टिक ईसाई समुदाय से है। कुछ दिन पहले इनको बंधक बना लिया गया था।
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