उपन्यास अंश - फांस
सुप्रसद्धि कथाकार संजीव का नया उपन्यास फांस समर्पित है, सबका पेट भरने और तन ढकने वाले, देश के लाखों किसानों और उनके परिवारों को जिनकी हत्या या आत्महत्या को हम रोक नहीं पा रहे हैं। फांस संजीव द्वारा किसान आत्महत्या पर केंद्रित अनेक वर्षों के शोध का परिणाम है। फांस खतरे की घंटी भी है और आत्महत्या के विरुद्ध दृढ़ आत्मबल प्रदान करने वाली चेतना और जमीनी संजीवनी का संकल्प भी। जल्द ही यह उपन्यास वाणी से प्रकाशति हो रहा है। पेश हैं उपन्यास अंश :