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आर्थिक हितों पर हानिकारक असर पड़ने का बहाना कर नोटबंदी का ब्यौरा नहीं दिया

आर्थिक हितों पर हानिकारक असर पड़ने का बहाना कर नोटबंदी का ब्यौरा नहीं दिया

सरकार ने विदेशों में जमा कालेधन समेत कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को सतत प्रक्रिया बताया है लेकिन 500 रूपये और 1000 रूपये के पुराने नोटों को अमान्य करने के निर्णय एवं बैठकों से जुड़ा ब्यौरा यह कहते हुए देने से इंकार किया है कि ऐसी सूचना जारी करने का देश के आर्थिक हितों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल से मांगा पिछले तीन महीने का ब्यौरा

प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल से मांगा पिछले तीन महीने का ब्यौरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल से पिछले तीन महीने के दौरान की गई यात्राओं का पूरा ब्यौरा मांगा है। ताकि यह पता चल सके कि मंत्रियों ने अपने संसदीय क्षेत्रों से बाहर जाकर भी नोटबंदी और सरकारी कदमों का प्रचार-प्रसार किया है या नहीं।
नोटबंदी : पीएम ने कहा, भाजपा सांसद-विधायक खातों से लेनदेन का ब्यौरा सौंपें

नोटबंदी : पीएम ने कहा, भाजपा सांसद-विधायक खातों से लेनदेन का ब्यौरा सौंपें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भाजपा के सभी सांसदों, विधायकों से कहा कि वे 8 नवंबर से 31 दिसंबर के बीच अपने बैंक खातों के लेनदेन का ब्यौरा 1 जनवरी 2017 तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दें।प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को बड़े नोटों को अमान्य करने के फैसले की घोषणा की थी।
सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की उंगलियों पर अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा रहता है। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक किन-किन देशों की यात्राएं की हैं और भारत को कहां से क्या लाभ मिला है, इसका ब्यौरा जानना हो तो सुषमा स्वराज को बगैर कोई दस्तावेज देखे सिलसिलेवार बता देंगी। भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री के विदेश दौरों का सिलसिलेवार ब्यौरा रखा और एक-एक देश का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के सांसदों को बताया कि किस तरह उन दौरों का सकारात्मक प्रभाव दिखेगा। उन्होंने समझाया कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं को सैर-सपाटा कतई नहीं समझा जाए।
चर्चाः सेवा करने वालों का हिसाब-किताब | आलोक मेहता

चर्चाः सेवा करने वालों का हिसाब-किताब | आलोक मेहता

महान भारत देश में करीब 30 लाख संस्‍‌थाओं ने ‘स्वयंसेवी’ संगठन के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। लेकिन मात्र 10 प्रतिशत संस्‍थाएं ही अपनी आमदनी-खर्च का विवरण आयकर विभाग को देती हैं। सेवा करने वालों को अपने बही-खाते की पारदर्शिता रखने से परहेज क्यों है?
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