जेएनयू में वामपंथ को न मानने वालों के बीच एक ज़ुमला खासा मशहूर है कि देश भर के लेफ्टिस्टों को एक पिंजरे में बंद करने के लिए इंदिरा गाँधी ने जेएनयू बनाया। जेएनयू ही वो जगह है जहाँ (1969 से 2016 तक एक उदाहरण को छोड़कर जब 2001 में एबीवीपी के संदीप महापात्र कुछ वोटों से जीत गए थे) चुनाव दर चुनाव वामपंथ अपना किला सलामत रख सका है।
राहुल गांधी ने कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए कई नई योजनाएं बनाई है,जिनका खुलासा उन्होंने छह जून को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में किया। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि अब हर दो महीनों में एक बार सीडब्ल्यूसी की बैठक की जाएगी।
आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जम कर निशाना साधा। उन्होंने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि गले में भगवा रंग पहनने वालों को पुलिस की पिटाई करने और थानों पर बलवा करने का लाइसेंस मिल गया है।
राज्यसभा में कल माकपा के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के खिलाफ भगवा ब्रिगेड द्वारा अभियान चलाया जा रहाहै। वहीं पीएल पुनिया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि नये बजट से इंदिरा गांधी के समय से चली आ रही अनुसूचित जाति और जनजाति उप योजनाओं को हटा दिया गया है।
अपने गढ़ मुंबई के बीएमसी चुनाव में 82 सीटें जीतने वाली भाजपा की बढ़त से बेफिक्र शिवसेना ने आज जोर देकर कहा कि नगर निकाय का मेयर उनकी पार्टी का ही बनेगा। इसके साथ ही सेना ने अब पराये हो चुके अपने पुराने सहयोगी भाजपा पर छल से उन्हें अस्थिर करने का भी आरोप लगाया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव दो समानांतर बिंदुओं पर चल रहा है। एक ओर पंरपरागत विकास का नारा है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, ढांचागत निर्माण, नागरिक सेवाओं की बात हो रही है। वहीं दूसरी ओर, मतदाता केवल वोटों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर चर्चा कर रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 26 जिलों की 140 सीटों पर सबसे बड़ा मुददा सांप्रदायिकता ही है।
महाराष्ट्र की राजनीति में अहम दखल रखने वाली शिवसेना ने राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव में भाजपा की जीत को नोटबंदी से जोड़ने को मूर्खता करार दिया है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना आपस में सहयोगी दल हैं। लेकिन भाजपा के प्रदर्शन की सराहना करने की बजाए शिवसेना ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि जो लोग भगवा दल की जीत को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं वे मूर्ख हैं।