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राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
दूध से भी दूर नहीं होगी कुपोषण की समस्या

दूध से भी दूर नहीं होगी कुपोषण की समस्या

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक फरमान जारी किया कि मध्यान्ह भोजन के साथ-साथ बच्चों को दूध दिया जाए ताकि कुपोषण दूर कर सेहतमंद बनाया जा सके। लेकिन हफ्ते में एक दिन दूध देने से क्या कुपोषण की समस्या दूर हो पाएगी इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि हफ्ते में एक दिन दूध वह भी कई स्कूलों में नहीं मिल रहा है तो कई जगह खराब मिल रहा है।
तीखा खाओ मोटापा घटाओ

तीखा खाओ मोटापा घटाओ

वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि तीखी मिर्च खाने से पेट की तंत्रिकाओं पर प्रभाव पड़ता है और मिर्च ज्यादा खाने से रोकती है। यह खोज मोटापा दूर करने के नए इलाज में कारगर हो सकती है।
आंगनवाडी में जहरीले भोजन से मौत

आंगनवाडी में जहरीले भोजन से मौत

आंध्र प्रदेश के दोंतामुर गांव के एक आंगनवाड़ी केंद्र में विषाक्त भोजन खाने से दो वर्षीय लड़के की मौत हो गई और एक की हालत गंभीर बनी हुई है। यह घटना रंगमपेटा मंडल के जी दोंतामुर गांव में हुई।
रेस्तरां में भी शुद्ध शाकाहारी भोजन

रेस्तरां में भी शुद्ध शाकाहारी भोजन

अब बाहर होटलों और रेस्तरां में भी शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलने लगा है। पहले तेल मसालों की अधिकता, शुद्धता और शाकाहारी भोजन में बहुत अधिक विकल्प न होने से बाहर खाने के कई शौकीन मन मसोस कर रह जाते थे। पर अब ऐसा नहीं है। शाकाहार के बढ़ते चलन ने फिजा बदल दी है।
बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

धीरे-धीरे आदिवासी भोजन खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है। परंपरागत आदिवासी भोजन न मिलनेकी वजह से 54 फीसदी आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यूनिसेफ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त पड़ताल में सामने आया है कि इसकी मुख्य वजह जंगल संबंधी नई नीतियां हैं, जिनके चलते आदिवासियों को उनके परंपरागत एवं पोषक भोजन से दूर कर दिया गया।
भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

दोपहर के खाने में फास्ट-फूड का चलन बढ़ गया है। मैंने कभी नहीं सुना था कि लोग रात के खाने में पिज्जा खा रहे हैं। इसकी एक वजह वक्त की कमी भी है। होम-डिल्वरी सुविधा ने भी रसोईघर से दूरी बढ़ा दी है।
थाली हुई दादी-नानी की कहानी

थाली हुई दादी-नानी की कहानी

बाजार अब रेडी-टू-ईट यानि फटाफट खाद्य पदार्थों से भरा पड़ा है। मुंबई का बड़ा-पाव से लेकर कुछ भी घर लाओ, गरम करो और खाओ। फ्रोजन मार्केट यानि बर्फ में जमाई खाद्य सामग्री का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
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