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Search Result : "मधूसूदन मिस्त्री"

टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री, रतन टाटा को अंतरिम प्रभार

टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री, रतन टाटा को अंतरिम प्रभार

देश की अग्रणी उद्योग समूह टाटा संस ने एक आश्चर्यजनक घटना क्रम के तहत साइरस मिस्त्री को आज कंपनी के चेयरमैन पद से हटा दिया। कंपनी के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को कंपनी के चेयरमैन का अंतरिम प्रभार दिया गया है।
फोर्ब्स ने जारी की सौ सबसे अमीर भारतीयों की सूची, मुकेश अंबानी टॉप पर कायम

फोर्ब्स ने जारी की सौ सबसे अमीर भारतीयों की सूची, मुकेश अंबानी टॉप पर कायम

उद्योगपति मुकेश अंबानी लगातार नौंवे साल देश के सबसे अमीर व्यक्ति का तमगा हासिल करने में सफल रहे हैं। फोर्ब्स इंडिया के अनुसार अंबानी की कुल संपत्ति तेजी से बढ़ती हुई 22.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई। इस तरह अंबानी की परिसंपत्तियां एस्टोनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर हो गई।
मोदी के पास बलूचिस्तान के लिए वक्त है, पर पीड़ित दलितों के लिए नहीं: कांग्रेस

मोदी के पास बलूचिस्तान के लिए वक्त है, पर पीड़ित दलितों के लिए नहीं: कांग्रेस

दलितों पर हाल में हुए कुछ हमलों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला है। कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधि मंडल ने रविवार को राष्ट्रपति से मुलाकात कर इस मामले मं दखल देने का अनुराध किया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी के पास बलूचिस्तान के लोगों के बारे में सोचने के लिए तो वक्त है, लेकिन वह अपने गृह राज्य गुजरात में अत्याचार के शिकार हुए दलितों से मुलाकात का समय नहीं निकाल पाते।
बीमारू से बिकाऊ प्रदेश तक - रिसर्जेंट राजस्थान

बीमारू से बिकाऊ प्रदेश तक - रिसर्जेंट राजस्थान

रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप सम्मिट में देश दुनिया के धनकुबेरों का दो दिवसीय मिलन जयपुर में हुआ। राजस्थान सरकार द्वारा पूंजी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से किए गए इस आयोजन में 300 निवेश करार हुए जिनसे 4 लाख करोड़ का निवेश राज्य में आने की संभावना बनती दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं बल्कि इससे ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने का भी दावा किया जा रहा है। अनुमान है कि रिसर्जेंट राजस्थान के इस आयोजन पर राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये खर्च किया है। यह खर्च है कोई निवेश नहीं है। जनता की गाढ़ी कमाई का यह पैसा सिर्फ मेहमान नवाजी पर ही खर्च हो गया है। जयपुर की जनता को दो तीन दिन जो असुविधाएं झेलनी पड़ी वह तो अलग ही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जिस मुख्यमंत्री को अपने राज्य की जनता से मिलने तक कि फुर्सत नहीं होती है, कभी-कभार ही सभाओं में उनके दर्शन हो पाते हैं, वह पूंजीपतियों के मध्य कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। यह अवसर राजस्थान के उन मतदाताओं को क्यों नहीं मिल पाता है जिन्होंने वोट दे कर प्रचंड बहुमत से उनकी सरकार चुनी है।
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