Advertisement

Search Result : "मुसलमान"

मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।
‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

मैं अयोध्या के बाराबंकी कस्बे का रहने वाला हूं। मैंने अपने इलाके और उसके आसपास कभी राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर नफरत का माहौल नहीं देखा। इस माहौल की शुरूआत दिल्ली से हुई। सन 1947 में हमारी जमीन बंटी और 1992 में हमारे दिल बंट गए। जिस दिन हमारे दिल बंटे, वह दिन हमारे लिए सबसे बदनसीब दिन था। चुनाव जीतने के चक्कर में हमारी नस्लें बरबाद हो गईं। हैरान हूं कि यह लोग अभी भी चैन से नहीं बैठ रहे हैं। आखिर यह इस मुद्दे को कहां ले जाकर छोड़ना चाहते हैं?
एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर पलटवार की तैयारी

एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर पलटवार की तैयारी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय ने सरकार के खिलाफ कवायद तेज कर दी है। गौरतलब है कि हाल ही में एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने के मामले में केंद्र सरकार ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के उस फैसले को मानती है, जिसमें एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इंकार किया गया था।
एक से ज्यादा बीवी तो यूपी में नहीं बन पाएंगे उर्दू शिक्षक

एक से ज्यादा बीवी तो यूपी में नहीं बन पाएंगे उर्दू शिक्षक

उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन हजार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। इस संबंध में जारी शासनादेश में एक से ज्यादा शादियां करने वालों को आवेदन के लिए अयोग्य ठहराया गया है। सरकार के इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध करते हुए इसे मुसलमानों के शरई अधिकारों का हनन करार दिया है।
पिछड़ापन दूर करने के लिए आरक्षण जरूरी: मुस्लिम संगठन

पिछड़ापन दूर करने के लिए आरक्षण जरूरी: मुस्लिम संगठन

देश के अहम मुस्लिम संगठनों की प्रतिनिधि संस्था, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत का मानना है कि मुसलमानों के लिए शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण की बेहद जरूरत है। मुशावरत ने विभिन्न क्षेत्रों में मुसलमानों के पिछड़ेपन की वजह अब तक की सरकारों की नीतियों को बताया है।
ओवैसी की निगाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर

ओवैसी की निगाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुसलमानों में पैदा हुई असुरक्षा का फायदा कई राजनीतिक दल उठाना चाहते हैं। इसी के मद्देनजर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तहादुल मुस्लिमीन (आईएमआईएम) ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करनी शुरू कर दी है। प्रदेश के आने वाले विधानसभा चुनावों में इस दफा आईएमआईएम पूरी ताकत के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। आईएमआईएम ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पुख्ता तैयारियों को लेकर बिगुल फूंक दिया है।
'आमिर की पत्नी कौन-सा अख़बार पढ़ती हैं? सामना तो नहीं'

'आमिर की पत्नी कौन-सा अख़बार पढ़ती हैं? सामना तो नहीं'

आमिर खान के रामनाथ गोयनका समारोह में दिए गए बयान पर सोशल मीडिया पर बवाल मचा है। गौरतलब है कि आमिर खान ने कहा था कि पिछले छह-आठ महीनों में देश में माहौल गड़बड़ हुआ है और उनकी पत्नी किरण राव ने तो देश छोड़ने पर उनसे चर्चा भी की थी।
'इंटरनेट पर परोसी जा रही इस्‍लाम, जेहाद की गलत परिभाषा'

'इंटरनेट पर परोसी जा रही इस्‍लाम, जेहाद की गलत परिभाषा'

जमात-ए-उलेमा हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी मुसलमानों के रहने के लिए भारत को बेहतरीन देश मानते हैं, हालांकि उनके इस बयान से मुसलमानों में एक तबके ने तीखी प्रतिक्रया दी है। मौजूदा समय में आतंकवाद, युवा मुसलमान, भारत में असहिष्णुता, हिंदू नेताओं के मुसलमानों के खिलाफ आए दिन जहर उगलने जैसे मुद्दों पर आउटलुक की विशेष संवाददाता मौलाना महमूद मदनी से खास मुलाकात-
मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर देश है भारत: महमूद मदनी

मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर देश है भारत: महमूद मदनी

जमीयत उलेमा ए हिंद बुधवार को एक साथ देश के सभी प्रमुख शहरों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। जमीयत उलेमा ए हिंद ने पेरिस में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आज कहा, इस्लाम में क्रिया की प्रतिक्रिया की कोई जगह नहीं है और इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्याएं करना, इस्लाम के नाम का दुरूपयोग करना है।
दिल्‍ली में भुखमरी के कगार पर रोहिंग्या मुसलमान

दिल्‍ली में भुखमरी के कगार पर रोहिंग्या मुसलमान

बर्मा से आई तीस साल की तस्लीमा यह नहीं जानती कि उसका बेटा किस तारीख को पैदा हुआ। हालांकि वह यह जानती है कि बेटा 18 या 20 दिन का हो चुका है। सफदरजंग अस्पताल से कोई पर्ची नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि तस्लीमा दूसरे देश की रहने वाली है इसलिए उसे बच्चे का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। दो साल पहले वह अपने वतन बर्मा से बांग्लादेश होती हुई दिल्ली पहुंची। मात्र तीस साल की उम्र में चार बच्चों की मां बन चुकी तस्लीमा अपने पति और बच्चों के साथ किसी तरह जान बचाकर भारत आ तो गई लेकिन यहां जिन हालातों में जी रही है वह जीते जागते मरने जैसे हैं।
Advertisement
Advertisement
Advertisement