कांस्य पदक के साथ रियो ओलंपिक में भारत के पदक का सूखा खत्म करने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह उनके 12 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
पदक तक पहुंचने के लिए लंबी तपस्या की है साक्षी ने। साक्षी को अर्सा हो गया अपना मनपंसद खाना खाए। घर लौटकर अब वह आलू के परांठे और कढ़ी चावल खाना चाहती है।
रोहतक सहित प्रदेश के 12 जिलों में धरना लगाए बैठे जाट आंदोलनकारियों एवं राज्य सरकार के बीच आज चंडीगढ़ में प्रस्तावित बातचीत के शुरू होने से पहले इस पर विफलता के बादल मंडरा रहे हैं। बातचीत होगी या नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति है क्योंकि आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया है कि सरकार से बातचीत के लिए उन्हें खापों के नेता या अन्य कोई तीसरा पक्ष हरगिज मंजूर नहीं।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों के मौजूदा रिण मंजूरी ढांचे में बदलाव की वकालत की है। उनका कहना है कि रिण मंजूरी के लिये मौजूदा समिति आधारित व्यवस्था के बजाय किसी एक बैंकर को इसकी जिम्मेदारी उठानी चाहिये और यदि वह परियोजना सफलता के साथ आगे बढ़ती है तो उस अधिकारी को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिये।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कौन सा चेहरा आगे करके चुनाव लड़ेगी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कई नामों पर चर्चा है और कहा जा रहा है कि कोई भी नाम चौकाने वाला हो सकता है।
भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रविवार को एक बार फिर मौद्रिक नीति को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर रघुराम राजन पर हमला बोला। स्वामी ने राजन पर ऐसे समय में निशाना साधा है जब एक महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरबीआई गवर्नर की आलोचनाओं को खारिज कर दिया था।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक के कुछ कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता के कारण फंसे कर्ज की मौजूदा समस्या इतनी बड़ी हुई हो सकती है। उन्होंने माना कि उन्हें उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था।
आस्ट्रेलिया के आम चुनावों में करीबी अंतर से मिली जीत के बाद मैल्कम टर्नबुल ने एक और कार्यकाल के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री पद की ली। टर्नबुल की शीर्ष प्राथमिकताओं में बजट में सुधार करना और समलैंगिक विवाह पर सार्वजनिक मतदान कराने का मुद्दा शामिल है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने स्पष्ट शब्दों में चुनौती दी है कि ‘बताएं महंगाई कहां कम हुई है?’ सरकार के नेता और उनके कई समर्थक तर्क देते हैं कि ‘राजन द्वारा ब्याज दरों को ऊंचा रखने की नीति अपनाने से विकास की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ा। लेकिन महंगाई कम हुई है।’