बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही विश्वास मत हासिल कर लिया हो लेकिन इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में असल चुनौती अभी बाकी है।
जदयू, राजद और कांग्रेस गठबंधन के बिहार में बेहतर तालमेल को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बुधवार को बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना एक औपचारिकता मात्रा प्रतीत हो रहा है।
राजनीतिक उठापटक के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नई पार्टी का गठन कर दिया। इसके साथ राज्य में नई सियासत के सूत्रधार भी बन गए हैं। मांझी की नई पार्टी बनाए जाने के बाद से माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के कई असंतुष्ट नेता जुड़ सकते हैं।
बिहार में भारतीय जनता पार्टी की जीतनराम मांझी को बचाने की रणनीति बुरी तरह से फ्लाप हो गई। अंतत: बाजी नीतीश कुमार ने मारी और एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री पर आसीन हो गए।
बिहार के मुख्यमंत्री पद से जीतन राम मांझी को हटाने का विरोध करने वाले राजद के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आज नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए जदयू नेता एवं उनके सहयोगियों पर राजद को समाप्त करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली इसके साथ ही उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। इस साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और अपनी पार्टी जदयू और सहयोगी दलों राजद, कांग्रेस और भाकपा का नेतृत्व करना है। ऐसे में उन्हें सभी के साथ समन्वय बनाकर काम करना होगा।
बिहार में जनता दल यूनाइटेड की बनने जा रही सरकार की पहली परीक्षा राष्ट्रीय जनता दल के मंत्रिमंडल में शामिल होने पर होगी। अगर राजद मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ तो इसके निश्चित पर दूरगामी संकेत होंगे और अगर शामिल होता है तो इसका अलग संदेश जाएगा।