भारत में अप्रैल 2000 से सितंबर, 2016 तक 300 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है। इससे पता चलता है कि भारत वैश्विक आर्थिक संकट के बीच सुरक्षित निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। इसमें से करीब 33 प्रतिशत एफडीआई भारत में मॉरीशस के रास्ते आया है। इसके पीछे अहम कारण भारत का मॉरीशस के साथ दोहरा कराधान बचाव करार होने का फायदा उठाना हो सकता है।
योग गुरू रामदेव नेपाल में कथित निवेश को लेकर विवादों में फंस गए हैं क्योंकि मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पतंजलि आयुर्वेद समूह ने बिना आधिकारिक मंजूरी के भारत के पड़ोसी देश में 150 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे की वजह विश्वविद्यालय की स्वायत्ता को प्रभावित किया जाना है।
मोदी सरकार द्वारा पांंच सौ और हज़ार रुपए के नोट को चलन से बाहर करने का सर्वाधिक असर उत्तर प्रदेश पर पड़ा है। प्रदेश में काम-धंधे लगभग बंद हैं और रबी की फ़सल की बुआई भी प्रभावित हुई है। स्कूल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी आधी रह गई है। जिसे देखो वही बैंकों की लाइन में लगा है।
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने आज कहा कि वापसी करने वाले पार्थिव पटेल समझते हैं कि उन्हें कुछ समय के लिये विकेटकीपर की जिम्मेदारी सौंपी गयी है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वह इस मौके का पूरा फायदा उठायेंगे ताकि विदेशी दौरों में वह दूसरे विकेटकीपर की जगह हासिल कर सकें।
विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के जल्द ही विदेशी चंदा लेने पर रोक लगेगी और गृह मंत्रालय एनजीओ को अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी कर उसके एफसीआरए पंजीकरण को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार के वैश्विक निवेशक सम्मेलन में चीन के नुमाइंदों को न्योता दिये जाने पर रुख स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सफाई दी और कहा कि इस कार्यक्रम में किसी चीनी कंपनी ने पूंजी निवेश का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है।
पतंजलि समूह के बडे़ पैमाने पर वस्त्र निर्माण क्षेत्र में उतरने की घोषणा करते हुए इसके प्रवर्तक योग गुरू रामदेव ने आज दावा किया कि अगले वित्तीय वर्ष में इस समूह के कारोबार में 200 प्रतिशत की भारी वृद्धि होगी।
अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, चाइनीज, जर्मन जैसी हर भाषा के अच्छे ज्ञान का सदैव स्वागत होना चाहिए। लेकिन भारत जैसे देश में अंग्रेजी की अनिवार्यता राजनीतिक मजबूरियों और ब्रिटिश विरासत में मिले बाबुई तंत्र के कारण 70 वर्षों में समाप्त नहीं हो सकी।