कांग्रेस हो अथवा भाजपा या कोई अन्य दल, जातिगत समीकरण अथवा आपराधिक दबदबे से चुनावों को प्रभावित करने वाले लोगों को मजबूरी में जोड़े रखना देर-सबेर घातक ही साबित होता है। ताजा प्रमाण छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के विद्रोही अजीत जोगी परिवार का विद्रोह और नई पार्टी बनाने की घोषणा है।
कांग्रेस के पतन का कारण खोजने के लिए ए.के. एंटनी कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही केवल भाजपा, वामपंथी दल या क्षेत्रीय दलों को दोषी ठहराया जा सकता है। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड का विद्रोह ताजा प्रमाण है।
देश को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने के लिए चलाए गए गदर और अन्य आंदोलनों के भूले बिसरे शहीदों की तस्वीरों का अनोखा और एकमात्र संग्रहालय है देशभगत यादगार हॉल। जालंधर स्थित इस संग्रहालय में क्रांतिकारियों की तकरीबन 300 से अधिक तस्वीरों और पेंटिंगों को प्रदर्शित किया गया है।
संघर्ष का नाम जनकवि रमाशंकर 'विद्रोही' नहीं रहे। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दो दशकों में आने वाले हजारों छात्र उनकी कविता सुनकर संघर्ष करना सीखे होंगे। 'आसमान में धान बोने वाला' ये निर्भीक कवि संघर्ष करते हुए ही मरा। सोशल मीडिया पर विद्रोही की कविताओं का उत्सव सा जारी है। आंदोलनों में उनकी कविताएं गूंजती रहती हैं लेकिन उनकी चर्चित कविताओं में ‘जब भी किसी गरीब आदमी का अपमान करती है, ये तुम्हारी दुनिया, तो मेरा जी करता है, कि मैं इस दुनिया को उठाकर पटक दूं।’, ‘मैं भी मरूंगा और भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगे लेकिन मैं चाहता हूं कि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें, फिर भारत भाग्य विधाता मरें ’, ‘आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाए या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन लेकिन असली गाय के घी का सुरमा, तो नूर मियां ही बनाते थे...’ , ‘मैं किसान हूं आसमान में धान बो रहा हूं, कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले, आसमान में धान नहीं जमा करता, मैं कहता हूं पगले, अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान में धान भी जम सकता है।..’ सोशल मीडिया पर इस जनकवि को श्रद्धांजलि देने वालों का सैलाब है-
एनडीए के घटक दलों में हुए सीट समझौते के बाद गठबंधन के लगभग हर दल में नाराजगी है। लोजपा के रामा सिंह के बाद अब भाजपा के दो विधायकों ने टिकट न मिलने पर बागी रुख अख्तियार कर लिया है।