दिल्ली में शरद पवार और ममता बनर्जी की सक्रियता ने सियासी हलचल तेज कर दी है। शरद पवार आज ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव और अरविंद केजरीवाल के साथ चाय पर मिल सकते हैं।
आजादी के बाद हिंदी साहित्य में जिन पत्रिकाओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई उनमें 'पहल' का नाम उल्लेखनीय है। यह पत्रिका अपने वैचारिक तेवर और प्रतिबद्धता के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। हिंदी की इस चर्चित पत्रिका ने प्रकाशन के चालीस साल पूरे कर लिए हैं। इस पत्रिका ने देश के चार दशकों के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन और इतिहास को भी समेटा है। हाल ही में इसका सौवां अंक आया। इस मौके पर जबलपुर में एक समारोह भी आयोजित किया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और जदयू के शरद यादव समेत कई विपक्षी सांसदों ने आज केंद्र पर असहमति की आवाज को खामोश करने लिए तीस्ता को बुरी तरह से परेशान करने का आरोप लगाया।
महाराष्ट्र की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना भले ही मिलकर सरकार चला रहे हों मगर अब यह साफ हो चुका है सहयोग का यह भाव सिर्फ सरकार चलाने तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि दोनों पार्टियां एक दूसरे को पटकनी देने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं।
आज विपक्ष के सदस्यों ने राज्यसभा टीवी चैनल के बारे में कुछ समाचार पत्राों में छपी एक खबर को तथ्यहीन बताते हुए इस बारे में विशेषाधिकार हनन के नोटिस को स्वीकार कर उस पर चर्चा कराने और इस मामले में सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है। इस पर सरकार ने अनुरोध किया यह मुद्दा प्रेस की आजादी से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस पर कोई भी फैसला लेते समय विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
पूरी दुनिया में भले ही भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गुट निरपेक्ष आंदोलन के नेता के तौर पर जानती है लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बांडुंग सम्मेलन की 60वीं सालगिरह के मौके पर नेहरू का नाम लेना तक जरूरी नहीं समझा। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने भी नेहरू का जिक्र तक नहीं किया। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसी नीति को आगे बढ़ा रही है। भारत सरकार की ओर से वैश्विक मंच पर नेहरू के योगदान को नजरअंदाज करने का यह अनूठा मामला है।
बुधवार को दिल्ली में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर जनता परिवार के नेताओं की बैठक होगी। जिसमें सभी दलों के विलय को लेकर फैसला किया जाएगा। बैठक में इस बात पर अंतिम फैसला होगा कि जनता परिवार के सभी दलों का नया नाम क्या होगा।
जनता परिवार के विलय का औपचारिक ऐलान तो हो गया लेकिन नए दल का नाम और चुनाव चिन्ह क्या होगा इसको लेकर संशय बरकरार है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में बने नए दल की पहली परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होगी जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। मुलायम ही संसदीय दल के नेता भी होंगे।
आप के बागी गुट ने छेड़ा स्वराज आंदोलन और आम आदमी पार्टी छोड़ने से इनकार किया। आप के असंतुष्टों द्वारा आयोजित स्वराज संवाद ने तीखे तेवरों के साथ यह ऐलान किया गया कि आप किसी एक व्यक्ति की पार्टी नहीं है।