नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज आफ चैरिटी का काम-काज संभालने वाली सिस्टर निर्मला जोशी का पूरा जीवन गरीबों और समाज के पिछड़े तबके के लोगों के उत्थान के प्रति ही समर्पित रहा। प्रचार और सुर्खियों से कोसों दूर रहने वाली सिस्टर निर्मला में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सच के साथ खड़े रहने का साहस था। उन्होंने कभी किसी गलत आरोप या अफवाह के सामने सिर नहीं झुकाया। बातचीत में तो इतनी विनम्र कि एकबार उनसे मुलाकात करने वाला उनका मुरीद बन जाता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने हमला बोला है। उन्होंने पीएम पर पार्टी के बुजुर्ग नेताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सिन्हा ने कहा कि भाजपा के 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेता 26 मई, 2014 के बाद दिमागी रूप से मृत मान लिए गए थे। सिन्हा ने यह टिप्पणी इस तथ्य के मद्देनजर की कि मोदी के मंत्रिमंडल में 75 वर्ष से ऊपर की उम्र के नेता नहीं शामिल किए गए।
बहुत दिन नहीं बीते हैं, जब बीबीसी के लिए लेजली उडविन द्वारा बनाए गए एक वृत्तचित्र पर खूब हंगामा हुआ। संसद से लेकर सडक़ तक विरोध के स्वर गूंजे और शायद इसी बहाने पहली बार भारत में वृत्तचित्र पर इतनी बात हुई।
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब नरेंद्र मोदी की ‘मित्रों’ की सूची से बाहर रहने वाले संजय जोशी के जन्मदिन पर दिल्ली के इस कोने से उस कोने तक बधाइयों के संदेश वाले पोस्टर लग गए थे। आयुष मंत्री श्रीपाद नाइक समेत दो और नेताओं को सफाई देने के साथ श्रीपाद के निजी सचिव को इस्तीफा देना पड़ा था। अब यह ‘पोस्टर वार’ लगता है खुल कर सामने आ गया है।
संघ, संजय जोशी को फिर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करता रहता है यह सभी जानते हैं। यही वजह है कि एक धड़ा उनसे अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहता है ताकि जब भी बदलाव हो और वह कोई पद संभालें तो उनसे नए सिरे से दोस्ती न शुरू करना पड़े।
माधव जोशी पेशे से कार्टूनिस्ट हैं। उनका पहला ही उपन्यास ही बेस्ट सेलर रहा। मराठी भाषा में लिखा गया यह उन्यास, एक पिता की आत्मकथा नाम से आया और पाठकों ने इसे हाथों हाथ लिया। उनकी कार्टून की धार बहुत ही पैनी और सटीक होती है। इसके विपरीत उनकी रचनाएं मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ रिश्तों की अलग परिभाषा गढ़ती है।
बीसवां देवीशंकर अवस्थी सम्मान युवा आलोचक जीतेंद्र गुप्ता को उनकी पुस्तक ‘भारतीय इतिहासबोध का संघर्ष और हिंदी प्रदेश’ के लिए प्रतिष्ठित लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा 5 अप्रैल 2015 को रवींद्र भवन में साहित्य जगत की जानी-मानी हस्तियों की मौजूदगी में प्रदान किया गया।
भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों अपने बुजुर्ग नेताओं की उपेक्षा का दौर चल रहा है। पहले बेंगलुरू में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लालकृष्ण आडवाणी को बोलने का अवसर नहीं दिया गया जबकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि आडवाणी कार्यकारिणी की बैठक में हों और उनका संबोधन न हुआ हो।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को पद्म विभूषण से सम्मानित किये जाने के दूसरे ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बाबरी मस्जिद विंध्वंस की साजिश रचने के मामले में नोटिस भेजा है। इस मामले में आडवाणी के अलावा 19 और लोगों को नोटिस भेजा गया है।