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Search Result : "संगीत की दुनिया"

इंदिरा हत्या: इस सिख नेता पर मामला नहीं चला पाईं थीं थैचर

इंदिरा हत्या: इस सिख नेता पर मामला नहीं चला पाईं थीं थैचर

ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में रहने वाले उस सिख अलगाववादी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थीं जिस पर इंदिरा गांधी की हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। लेकिन राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटेन के एक कानून के कारण वह उस सिख को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को पूरा नहीं कर पाईं थीं। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में यह बात सामने आई है।
विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का  निधन

विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का निधन

जाने-माने संगीतकार एमएस विश्वनाथन का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने लगभग 1000 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर विश्वनाथन को चेन्नई में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
आईवीएफ भ्रूणों के लिए संगीत ‌

आईवीएफ भ्रूणों के लिए संगीत ‌

यूं तो बार्सिलोना के गायक एंटोनियो ओरोज्को जब भी स्टेज पर आते हैं, सूट-बूट में होते हैं। लेकिन यह स्पेनिश गायक इस बार अलग तरह की पोशाक में थे। यह खास पोशाक उन्होंने खास कार्यक्रम के लिए पहनी थी। उनके श्रोता भी खास थे। यह कार्यक्रम एक आइवीएफ क्लीनिक में हुआ।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
शाहिद की शादी में मौजां

शाहिद की शादी में मौजां

कल शाहिद कपूर दिल्ली की मीरा राजपूत के साथ विवाह बंधन में बंध जाएंगे। मीरा जहां आज होने वाले संगीत समारोह की तैयारी में व्यस्त हैं वहीं शाहिद अपनी बैचलर पार्टी में मस्त हैं। यह पार्टी कहां हो रही है यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन खबर है कि शाहिद के बेहद करीबी दोस्त उनकी बैचलर पार्टी में शामिल हुए हैं।
यूनान संकट: भारत और दुनिया के लिए सबक

यूनान संकट: भारत और दुनिया के लिए सबक

जहां तक यूनान के मौजूदा संकट का सवाल है, इससे जुड़े मजाक की भी अपनी-अपनी विचारधाराएं हैं। एक प्रचलित चुटकुले का पूंजीवादी संस्करण इस प्रकार है। डच होने की पहचान यह है कि एक रेस्तरां में एक टेबल पर साथ में खाना खाए लोग मिलकर बिल का भुगतान करते हैं जबकि ग्रीक होने का मतलब है खाना खा लेने और शराब पी लेने के बाद जब सभी उठते हैं तो पता चलता है कि बिल देने के लिए किसी के पास पैसे नहीं हैं। इसी लतीफे का समाजवादी संस्करण यह है कि जिन लोगों ने खाने का आर्डर दिया है उन्हें पता चलता है कि उनका खाना रेस्‍तरां का मालिक खा गया और अब बिल उनको भरना है।
नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नब्बे के दशक में जब गायिका मिलन सिंह सिल्वर स्क्रीन पर आईं तो लोग इसी पसोपेश में रहते थे कि वह महिला हैं या पुरुष। वह दोनों आवाजों में गाया करती थीं। तब उनके गीत युवाओं की जुबान पर रहते । खासकर ‘ अक्ख दे इशारे नाल गल कर गई कुड़ी पटोले वरगी ’ और ‘हाणियां तू कर लै प्यार की जिना तेरा जी करदा ’। इन गीतों की वजह से लोग उन्हें पंजाबी समझते लेकिन मिलन सिंह उत्तर प्रदेश में इटावा के एक गांव की रहने वाली हैं और ठाकुर परिवार में जन्मीं हैं। 32 सुपरहिट एलबम देने वाली मिलन सिंह ने हाल ही में संगीत की दुनिया में पुनः वापसी की है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-
अब मिस्र में आईएस का कहर, 60 मरे

अब मिस्र में आईएस का कहर, 60 मरे

मिस्र में अशांत सिनाई प्रायद्वीप में आईएस के हथियारबंद आतंकवादियों ने बुधवार को विभिन्न सैन्य चौकियों पर तीन आत्मघाती बम हमलों समेत एक साथ कई हमले किए जिनमें मिस्र के कम से कम 60 जवान मारे गए। यह इलाके में अब तक हुए सबसे बड़े हमलों में से एक है।
भारत में बढ़े सुपररिच, दुनिया में चौथा नंबर

भारत में बढ़े सुपररिच, दुनिया में चौथा नंबर

भारत 10 करोड़ डालर या उससे अधिक की सम्पत्ति वाले अतिधनाढ्य परिवारों की संख्या के हिसाब से विश्व में चौथे स्थान पर है। इस समूची में अमेरिका शीर्ष स्थान पर है।
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
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