नगालैंड में बलात्कार के आरोपी को पीट पीट कर मार डाले जाने का मुद्दा आज लोकसभा में उठा और असम के कांग्रेस सदस्यों ने इस मामले को प्रदेश सरकार की विफलता करार दिया।
जम्मू-कश्मीर में अगगाववादी हुर्रियत नेता मसरत आलम को रिहा किये जाने पर लोकसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस मसले पर बचाव की मुद्रा में है।
जम्मू-कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद की नई सरकार बनते न बनते पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में खींचतान शुरू हो गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह नूरा-कुश्ती है
नए बजट में कला संस्थाओं के बजट में कटौती हो गई है। सरकार को लगता है कि कलाकारों को पैसों की कुछ खास जरूरत नहीं होती। वे कला को ही ओढ़-बिछा कर अपना जीवन यापन कर सकते हैं।
मोदी सरकार पर वाजपेयी सरकार के कार्यक्रमों की नकल करने के आरोप सहित राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए कई भ्रामक बयानों को लेकर कांग्रेस उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस लाने पर विचार कर रही है।
सरकार और रिजर्व बैंक के बीच महंगाई को नियंत्रण में रखने के समझौते और इसकी जिम्मेदारी रिजर्व बैंक को सौँपे जाने के एक पखवाड़े के अंद भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को मुख्य ब्याज दर (रेपो रेट) 0.25 प्रतिशत घटाकर 7.5 प्रतिशत कर बाजार को चौंका दिया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष के एक संशोधन के पारित हो जाने और इस विषय पर सरकार की करारी हार से भले ही केंद्र सरकार को सीधा खतरा न हो मगर इसने इस बात का संकेत तो दे ही दिया है कि बीमा विधेयक, कोयला विधेयक या फिर भूमि अधिग्रहण विधेयकों पर सरकार की राह कतई आसान नहीं होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली लगातार दो बजट पेश कर चुके हैं और दोनों ही बजट में खास बात रही है उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई औद्योगिक इकाईयों के लिए खुलकर फंड की व्यवस्था करना।
कभी जिन मुद्दों को लेकर भाजपा नेता पानी पी-पीकर कश्मीर की दूसरी पार्टियों को कोसा करते थे अब वही मुद्दे उसके गले की फांस बनने लगे हैं। कल्पना करें कि अगर आज जम्मू-कश्मीर में भाजपा सरकार की साझेदार न होती तो मुफ्ती मोहम्मद सईद के यह कहने पर कि राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सीमा पार के लोग और अलगाववादी भी बधाई के पात्र हैं, भाजपाईयों की प्रतिक्रिया क्या होती।
अहमद पटेल और उनके करीबियों को यह पक्का आभास है कि पार्टी के भीतर बन रहे नए केंद्रक के मुताबिक नए तेवर अपनाना जरूरी है। राहुल गांधी के कद को बढ़ाने के लिए भी एक तरफ आम जन के मुद्दों से जुडऩा जरूरी है और दूसरी तरफ कांग्रेस के शीर्ष और निष्प्रभावी नेताओं को किनारे करने के लिए भी रणनीति बनानी जरूरी है। कांग्रेस में दोनों पहलुओं पर विचार तो खूब हो रहा है लेकिन इसका बहुत ठोस फायदा होता दिख नहीं रहा।