शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर केंद्र मोदी सरकार निशाना साधा है। बीजेपी के अच्छे दिन के वादे पर कटाक्ष करते हुए ठाकरे कहा कि अच्छे दिन सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में ही दिखाई दे रहे हैं, बाकी सिर्फ आनंद ही आनंद है।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में बेहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में कलेक्टर अवनीश शरण का बहुत बड़ा हाथ है। ये पहला मौका नहीं है, जब अवनीश ने अपनी बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया, इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी को 9 माह तक आंगनबाड़ी में पढ़ाया था।
सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया विमान में एक बार फिर यात्रियों के हंगामे करने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं। विमान में बैठे यात्रियों के हंगामे की वजह कोई और नहीं बल्कि विमान में एसी नहीं चलना हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आज आधार अनिवार्यता मामले पर सुनवाई करते हुए ऐसे नागरिकों को राहत प्रदान की है, जिनके पास आधार कार्ड या नंबर नहीं है। कोर्ट ने आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकारी अधिसूचना पर अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया है।
हाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक नोटिफिकेशन में उन लोगों के लिए आधार जरूरी कर दिया है जो तपेदिक (टीबी) के इलाज के सरकार की ओर से टीबी उन्मूलन के लिए चलाई जा रही स्कीमों में कैश बेनिफिट लेते थे। राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के रिवाइज्ड कार्यक्रम में बताया गया है कि अब आधार जरूरी होगा।
लगता है वीपीआई कल्चर को लेकर मंत्रियों का मोहभंग होता दिखाई नहीं देता। अभी भी इसका खुमार कई नेताओं पर चढ़ा देखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार के मंत्री के बेटे की शादी में सरकारी डाक्टरों की ड्यूटी लगवाने का मामला नेताओं की इस खुमारी को बयां करता है। दिलचस्प है कि सीएमओ ने डाक्टरों की ड्यूटी के लिए चिट्ठी तक लिख दी।
भाजपा नेता सुशील मोदी ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के घर पर सरकारी डॉक्टर्स की टीम तैनात करने को लेकर पिता के साथ-साथ बेटे तेज प्रताप यादव पर भी निशाना साधा है। सुशील मोदी ने कहा कि पिता के लिए डॉक्टर्स की पूरी टीम तैनात करने वाले बेटे को जनता की परवाह नहीं है।
केरल में मंत्रियों और अधिकारियों ने हमेशा से दिए जा रहे उदाहरण को अपनाते हुए एक अच्छी कोशिश की ओर कदम बढ़ाया है। सरकारी स्कूल की जर्जर हालात को देखते हुए हमेशा से एक उदाहरण दिया जाता है कि अगर मंत्रियों और अधिकारियों के बच्चें सरकारी स्कूल में पढ़ने लग जाए तो हालात में तेजी से सुधार हो सकता है।
देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हाल ये है कि दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं के मामलों में भारत का 154 वां स्थान है। 195 देशों की सूची में भारत की ऐसी स्थिति संकेत कर रही है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।