Advertisement

Search Result : "सर्व शिक्षा अभियान"

चर्चा : कॉलेज परिसर में घूस का पाप। आलोक मेहता

चर्चा : कॉलेज परिसर में घूस का पाप। आलोक मेहता

लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र ने शिक्षक द्वारा रिश्वत लेने के दबाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली। छात्र को कक्षा में उप‌स्थिति के रिकॉर्ड के आधार पर परीक्षा प्रवेश पत्र मिलने से शिक्षक रोक रहा था। छात्र ने एक बार 20 हजार रुपया दे भी दिया और घूसखोर शिक्षक ने ज्यादा रकम मांगी। ऐसी मानसिक प्रताड़ना संपूर्ण शिक्षा-व्यवस्था और शासकीय तंत्र के लिए शर्मनाक है।
जियानी इन्फैनटिनो बने फीफा के अध्यक्ष, ब्लाटर युग का हुआ अंत

जियानी इन्फैनटिनो बने फीफा के अध्यक्ष, ब्लाटर युग का हुआ अंत

स्विटजरलैंड के जियानी इन्फैनटिनो ने फीफा अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है। यूरोपीय गवर्निंग निकाय यूईएफए के 45 वर्षीय महासचिव इन्फैनटिनो स्विस एल्प्स में वलाइस क्षेत्र से फीफा के दूसरे अध्यक्ष हैं। ब्रिज के इन्फैनटिनो 79 वर्षीय ब्लाटर की जगह ली है जिनका कार्यकाल भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से सवालों के घेरे में आ गया था।
चर्चाः वायदों और दावों का क्या | आलोक मेहता

चर्चाः वायदों और दावों का क्या | आलोक मेहता

‘कसमें, वादे, प्यार, वफा-सब बातें हैं बातों का क्या?’ यह फिल्मी गाना पुराना हो गया। लेकिन इन दिनों जिस इलाके में जाएं, लोग सरकारों के वायदों और दावों के साथ इसी तरह के सवाल उठा रहे हैं। संसद के बजट-सत्र के उद्घाटन अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारत सरकार की ‘सफलताओं का लेखा-जोखा’ आधारित भाषण पढ़ दिया।
दनकौर में घटा है अनीमिया का ग्राफ

दनकौर में घटा है अनीमिया का ग्राफ

लाला लाजपत राय कन्या इंटर कॉलेज, दनकौर की इमारत यूं तो खासी कमजोर दिखाई दे रही थी, लेकिन इसमें पढ़ने वाली लड़कियों और इस स्कूल को चलाने वाली प्रिसिंपल के इरादे काफी मजबूत दिखे। बेहद कम सुविधाओं वाले इस सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पहली से बारहवीं कक्षा तक लड़कियां अच्छी तादाद में पढ़ रही हैं। ये लड़कियां मध्यम और पिछड़े तबके की हैं और अच्छी बात ये है कि हिंदु और मुसलमान दोनों हैं।
ऐसे आएंगे संस्‍कृत के अच्‍छे दिन, समिति ने दी सिफारिशें

ऐसे आएंगे संस्‍कृत के अच्‍छे दिन, समिति ने दी सिफारिशें

संस्कृत विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के लिए विशेष अनुदान देने के साथ-साथ सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि स्‍कूलों में संस्‍कृत पढ़ाने वाले अध्यापकों को अन्य विषय पढाने वाले शिक्षकों के समान वेतन मिलना चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने इस तरह की कई सिफारिश की हैं।
योगेद्र यादव बनाएंगे पार्टी, बोले-मूर्तियों की दुकान निकली 'आप'

योगेद्र यादव बनाएंगे पार्टी, बोले-मूर्तियों की दुकान निकली 'आप'

आम आदमी पार्टी से निकाले गए योगेन्द्र यादव एक नई पार्टी बनाना चाहते हैं। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने आप को मंदिर समझा था लेकिन वह मूर्तियों की एक दुकान भर निकली। उन्होंने एक ऐसी पार्टी का गठन करने की इच्छा जताई जो आतंरिक लोकतंत्र, पारदर्शिता, जवाबदेही के मानकों पर खरा उतरकर देश भर में उर्जा का संचार करे।
दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने दूसरे वर्गों के मुकाबले दलितों और मुसलमानों के शिक्षा, रोजगार एवं राजनीतिक प्रतिनिधित्व में पिछड़े होने का दावा करते हुए शनिवार को कहा कि इस पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह इन दोनों समुदायों के साथ होने वाला कथित भेदभाव है।
निजी कोचिंग सेंटर शिक्षा का संगठित माफिया

निजी कोचिंग सेंटर शिक्षा का संगठित माफिया

जिसका मन करता है, वह चार कुर्सी-टेबल लगा कर कोचिंग सेंटर खोल लेता है क्योंकि हमारे देश में स्कूल खोलना मुश्किल काम है। स्कूल खोलने के लिए कई औपचारिकताएं होती हैं, जिसे हर कोई पूरा नहीं कर सकता है लेकिन निजी कोचिंग सेंटर के लिए कुछ नहीं करना होता। इसके लिए देश में कोई रेगुलेटरी बोर्ड नहीं। कोचिंग सेंटर्स शिक्षा का रैकेट और संगठित माफिया है। इनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स, विज्ञापन छात्रों को आकर्षित करते हैं। शिक्षकों को लगता है कि स्कूल या कॉलेज में क्यों पढ़ाना? वे स्कूल-कॉलेज में वे ट्रिक्स नहीं देते जो कोचिंग सेंटर में देते हैं। कोई नहीं जानता कि देश में कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, ये सालाना कितने करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं।
आवरण कथाः उच्च शिक्षा की साख पर खतरा

आवरण कथाः उच्च शिक्षा की साख पर खतरा

हाल ही में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर चिंता प्रकट की मगर साथ ही साथ उन्होंने इस बात पर संतोष भी जताया कि निजी शिक्षा के क्षेत्र में फैलाव से उच्च शिक्षा तक छात्रों की पहुंच बढ़ गई है। आंकड़े दिखाते हैं कि राष्ट्रपति की दोनों ही बातों में दम है। वर्तमान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 60 फीसदी छात्र निजी संस्थानों से हैं। निजी शिक्षा के प्रसार ने ऊंची शिक्षा तक पहुंच को बढ़ा दिया है लेकिन समय-समय पर सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। संसद की एक समिति ने भी उच्च शिक्षा की दशा पर सवाल उठाए हैं और इसे दुरुस्त करने की सिफारिश की है। हालांकि शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2014-15 के बजट में शिक्षा के बजट को 83 हजार करोड़ रुपये से घटाकर 69 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया और इससे अगले साल के बजट में भी इसमें बढ़ोतरी नहीं की गई।