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साहित्य सम्मेलन क्यों हों

साहित्य सम्मेलन क्यों हों

सन 2014 का ज्ञानपीठ पुरस्कार मराठी लेखक भालचंद्र नेमाड़े को दिया जाएगा। नेमाड़े अपने उपन्यास हिंदू – जगण्याची अड़गळ के लिए जाने जाते हैं। मराठी भाषा में अड़गळ का अर्थ होता है ऐसा कबाड़ जो संभाल कर रखा जाता है। ऐसे कबाड़ को प‌रिभाषित करने वाले नेमाड़े बहुत बेबाकी से बोलते हैं।
साहित्योत्सव 2014

साहित्योत्सव 2014

साहित्य अकादेमी के पुरस्कार समारोह के साथ तीन दिन का साहित्योत्व शुरू हो गया है। देश-विदेश से लेखक और साहित्य में रूचि रखने वाले इस उत्सव में जमा हुए हैं। यह उत्सव हर साल आयोजित होता है, जिसका इंतजार सभी को रहता है।
कला संस्थाओं का बजट घटाया

कला संस्थाओं का बजट घटाया

नए बजट में कला संस्थाओं के बजट में कटौती हो गई है। सरकार को लगता है कि कलाकारों को पैसों की कुछ खास जरूरत नहीं होती। वे कला को ही ओढ़-बिछा कर अपना जीवन यापन कर सकते हैं।
जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

भारतीय साहित्य में आजकल एक नई धारा चर्चा में है। आदिवासी साहित्य नाम की इस धारा के लेखक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जुटे और उन्होंने आदिवासी जीवन से जुड़े मुद्दों को साहित्य में उठाने की वकालत की।
भालचंद्र नेमाड़े को ज्ञानपीठ पुरस्कार

भालचंद्र नेमाड़े को ज्ञानपीठ पुरस्कार

मराठी के जाने माने साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। नेमाड़े देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले 55वें साहित्यकार हैं। इससे पहले पांच दफा यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया था।
जयपुर में जुटे साहित्य के दिग्गज

जयपुर में जुटे साहित्य के दिग्गज

जयपुर धीरे-धीरे देश की साहित्य‌िक राजधानी बन गया है। देश का सबसे बड़ा साहित्योत्सव यहां 21 से 25 जनवरी के बीच आयोजित किया गया जिसमें भारत ही नहीं पूरी दुनिया के चर्चित साहित्यकार शामिल हुए।
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