सिंधु नदी जल संधि के बाद अब भारत पाकिस्तान को दिये गये व्यापार के लिहाज से तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे की समीक्षा करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरवार को यह समीक्षा बैठक बुलाई है। पाकिस्तान के एमएफएन दर्जे की समीक्षा करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर में उड़ी सैन्य ठिकाने पर हुये आतंकवादी हमले के बाद उठाये जा रहे कदमों के संदर्भ में लिया गया है।
सिंधु जल समझौते पर सोमवार को बुलाई गई बैठक में पीएम मोदी ने साफ कहा है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। बैठक में भारत-पाकिस्तान को कम पानी देने पर भी विचार किया गया और सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार करने को भी कहा गया। हालांकि अभी समझौता रद्द करने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ।
केंद्र द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते की समीक्षा करने का संकेत दिये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने आज कहा कि केंद्र सरकार 1960 की इस संधि पर जो भी फैसला करेगी, राज्य उसका पूरा समर्थन करेगा।
ओलंपिक रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का मानना है कि सुर्खियों में रहने के बाद अब उन पर अपेक्षाओं पर खरा उतरने की अतिरिक्त जिम्मेदारी बढ़ गयी है और उन्हें और कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
देश में क्रिकेट को सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है। लेकिन बैडमिंटन ने अब इस खेल को पीछे कर दिया है। रियो ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक के लिए हुए महिला सिंगल्स मैच में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच हुए मैच को विश्व कप क्रिकेट टी-20 सेमीफाइनल मैच से भी ज्यदा दर्शक मिले हैं।
जब बात अनुशासन की आती है तो भारत के दिग्गज बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद कोई समझौता नहीं करते और यही वजह रही कि उन्होंने पिछले तीन महीने से पी.वी. सिंधु को फोन से दूर रखा और रियो पहुंचने पर इस रजत पदक विजेता शटलर को आईसक्रीम भी नहीं खाने दी।
पीवी सिंधु बैडमिंटन में महिलाओं की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीतकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि देश को स्वर्ण पदक दिलाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया था।
रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को देश का गौरव बताते हुए अभिनेता अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, सलमान खान और एआर रहमान सहित कई बॉलीवुड अभिनेताओं ने उन्हें बधाई दी है।
कहा जाता है कि गुरु को मुक्ति तब मिलती है, जब शिष्य उससे बड़ा हो जाए। गोपीचंद ने इसे अपनी जिंदगी में अपनाया है। ओलंपिक के लिहाज से देखा जाए, तो आज उनके शिष्य बड़े मुकाम पर खड़े हैं। गोपी से भी ऊंचे मुकाम पर। फर्क बस यह है कि गोपी का कद भी उसके साथ बढ़ता जा रहा है। जीवन में जो सीखा, उसे संसार को वापस करना क्या होता है, इसे गोपी से समझा जा सकता है।