आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक मिशनों में सैनिक मुहैया कराने के लिहाज से सबसे बड़े देशों में से एक है तथा उसे सैनिकों की तैनाती और शांति मिशनों के गठन से संबंधित सुरक्षा परिषद के फैसलों में शामिल होने का अधिकार है। यह कहना है भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग का। जनरल सुहाग ने शुक्रवार को विश्व निकाय के पहले चीफ्स ऑफ डिफेंस सम्मेलन में यह टिप्पणी की।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित पार्टी में पहुंचे केंद्रीय मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने ट्वीट के जरिए जो गुस्सा निकाला वह मीडिया के लिए नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी की सरकार पर भी है। क्योंकि वीके सिंह को ऐसे समय में उस कार्यक्रम में जाने के लिए कहा गया जिसके लिए वह तैयार नहीं थे और मीडिया में सरकार की जगह सिंह की किरकिरी हुई।
गिरिलाल जैन के सुस्त युग के ठीक पहले शुरू होने वाले और अर्णब के स्वच्छंद युग में समाप्त होने वाले अपने कॅरियर में विनोद मेहता ने उल्लेखनीय कामयाबी पाई वह भारत की अंग्रेजी पत्रकारिता को एक हलकापन देने के साथ-साथ उसमें गंभीरता भी लाए।
राडिया टेप प्रकाशित करके विनोद मेहताने वही किया जो किसी अच्छे संपादक को करना चाहिए। राजनीतिज्ञों, पत्रकार/लॉबीस्टों और उनके कॉर्पोरेट प्रायोजकों के चल रहे समूह-सहवास की गंदी डायरियों को सार्वजनिक करके उन्होंने देश चला रही मित्र (माफिया) मंडली के क्लब नियमों को तोड़ दिया।
विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का पालन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों में सदा कठिन रहा है। महात्मा गांधी, तिलक या पराड़र और गणेश शंकर विद्यार्थी के युग से तुलना करना उचित नहीं होगा, लेकिन आजादी के बाद भारतीय पत्रकारिता में अलग तरह की चुनौतियां रही हैं। इस दृष्टि से विनोद मेहता ने पिछले 42 वर्षों में भारतीय पत्रकारिता में नए प्रयोगों के साथ निष्पक्ष एवं प्रोफेशनल मानदंड स्थापित किए।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने व्यापमं घोटाले में राज्य के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर आज अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय मांगी। प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये दायर याचिका में राज्यपाल ने तर्क दिया है कि संवैधानिक पद पर होने के कारण उन्हें संरक्षण प्राप्त है।