शंघाई फिल्म महोत्सव में दर्शक तब हैरत में पड़ गए जब सन 90 के दशक के लोकप्रिय गाने तुनक-तुनक-तुन ता रा रा पर जैकी चॉन खुद को नहीं रोक पाए और सोनू सूद के साथ थिरक पड़े।
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के प्रमुख दैनिक अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ पर अपने बारे में झूठी बातें लिखने का आरोप लगाते हुए अखबार के प्रेस अधिकार (क्रिडेन्शियल) निरस्त कर दिए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार किसी प्रमुख पार्टी की उम्मीदवार बन इतिहास रचने जा रही हैं हिलेरी क्लिंटन। उन्होंने न्यूजर्सी और न्यू मैक्सिको प्राइमरी में निर्णायक जीत के बाद बुधवार को राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दावेदारी की।
भारतीय प्रेस काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने मंगलवार से शुरू हो रहे रमजान के महिने में सभी गैर मुस्लिमों से एक दिन रोजा रखने की अपील की है। काटजू ने ऐसा मुस्लिमों के साथ एकजुटता दिखाने और सांप्रदायिकता के जहर को खत्म करने के मकसद से कहा है।
ताकत मौन में या मीडिया के पास? मीडिया कहां चुप रहे, कहां मुंह खोले और कहां ध्यान दे? सत्ता में आने के बाद अधिकांश राजनेता मीडिया को नई राह दिखाने की कोशिश करते हैं। पत्रकारिता की ‘लक्ष्मण रेखा’ पार करने वाले एक वर्ग के कारण मीडिया को घेरने की गुंजाइश बनती है।
एक ओर जहां केंद्र सरकार आज देश में विनायक दामोदर सावरकर जयंती मना रही है वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने सावरकर के स्वतंत्रता सेनानी होने पर ही सवाल उठा दिए हैं और कहा है कि वह अंग्रेजों के एजेंट थे।
बॉलीवुड गायक सोनू निगम, सुखविंदर सिंह, सुनिधी चौहान समेत संगीत जगत की कई हस्तियों ने मुंबई में आयोजित एक समारोह मेंं सरबजीत सिंह को विशेष संगीतमय सम्मान दिया।
भारत पत्रकारों पर हमले के मामले में विश्व में 13वें नंबर पर है और भारत में उत्तर प्रदेश इस मामले में पहले नंबर एक पर। हाल ही में झारखंड में पत्रकार अखिलेश प्रताप सिंह और उसके बाद बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या ने देश में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
सत्ताधारियों को तलवार लटकाना बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सदा यह समझता रहा है कि वह सर्वशिक्तमान है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सत्ता को बनाने-बिगाड़ने और देश की दशा तय करने का काम कर सकता है। यह दोनों प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित है।