गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में मुबंई के विशेष सीबीआई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने दिनेश एम एन और डीजी वंजारा को बरी कर दिया।
इशरत जहां मुठभेड़ मामले में जमानत मिलने के बाद नौ साल बाद पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा गुजरात लौटे हैं। इशरत जहां के अलावा उनपर और भी कई फर्जी एनकाउंटर्स के आरोप थे।
गुजरात में बहुत से लोगों के लिए केंद्र सरकार के एक साल पूरा होते न होते अच्छे दिन आ गए हैं। जिनके दिन और रात पहले से काले थे, उन्हें अब अमावस्या में जीने की सलाह दी जा रही है। आज की वारीख में चाहे वह इशरत जहां का फर्जी एनकाउंटर का मामला हो या सोहराबुद्दीन की हत्या का, सब मामलों में तमाम आरोपियों को जेल से मुक्ति, मुकदमों से मुक्ति की राह निकल पड़ी है। दोषियों, आरोपियों की रिहाई की यह रेल जिस तेजी से चल रही है, उसमें 2002 गुजरात नरंसहार के दोषियों को भी मुक्ति की आस बंध गई है।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामलों में गुजरात पुलिस के अधिकारी अभय चूडास्मा को आरोपमुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ अभियोजन लायक कोई सबूत नहीं हैं। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एमबी गोसावी ने चूडास्मा को आरोपमुक्त करने का फैसला सुनाया।
मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गीता जौहरी के खिलाफ आरोपों को हटा दिया क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार से अनिवार्य अनुमति नहीं मिली।