उच्चतम न्यायालय द्वारा एक अप्रैल से भारत चरण-तीन वाहनों पर प्रतिबंध के आदेश के बाद वाणिज्यिक वाहन कंपनियों तथा दोपहिया विनिर्माताओं द्वारा अपना स्टॉक निकालने के लिए भारी रियायतों की पेशकश की गई है। इससे जहां वाणिज्यिक वाहन कंपनियों को 2,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है वहीं दोपहिया उद्योग को भी करीब 600 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। शोध कंपनी क्रिसिल की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।