Advertisement

Search Result : "Aayushmaan khurana birthday"

शुभ मंगल में असावधानी

शुभ मंगल में असावधानी

आनंद एल राय निर्माता के रूप में शायद ‘तनु वेड्स मनु’ से आगे कुछ चाह रहे थे। इस बार उन्होंने निर्देशन की बागडोर आर एस प्रसन्ना के हाथों में दे दी। फिल्म के कई संवादों पर खूब तालियां बजीं, ठहाके भी लगे। बालकनी में बैठने वाले शायद सीटी न बजा पाएं पर जो लोग ड्रेस सर्किल में बैठते हैं उनके लिए उसकी पूरी छूट है। इसका सिर्फ इतना सा कारण है कि फिल्म पहली बार सेक्स करने में अक्षम पुरुष पर खुल कर बात करती है।
जन्मदिन : टैक्स की बीमारी और जातिवाद, क्षेत्रवाद पर हरिशंकर परसाई के दो सशक्त व्यंग्य

जन्मदिन : टैक्स की बीमारी और जातिवाद, क्षेत्रवाद पर हरिशंकर परसाई के दो सशक्त व्यंग्य

हमारे देश में टैक्स पर बहस अब भी चल रही है और जातिवाद, क्षेत्रवाद तो इस देश की पुरानी समस्याएं हैं। मशहूर साहित्यकार, व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्मदिन पर इन विषयों पर उनके दो सशक्त व्यंग्य।
आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

हंसाना दुनिया का सबसे कठिन काम है। लव स्टोरी में तो सच में बहुत कठिन। लेकिन तिवारी दंपती ने मिल कर बहुत सारे चेहरों पर मुस्कान ला दी है। मीठी-मीठी बर्फी सही जम गई है, भाईसाब!
पापा के बर्थडे पर वरुण धवन ने गिफ्ट किया ‘जुड़वा-2’ का खास पोस्टर

पापा के बर्थडे पर वरुण धवन ने गिफ्ट किया ‘जुड़वा-2’ का खास पोस्टर

फिल्म निर्माता डेविड धवन के बर्थडे पर उनके बेटे अभिनेता वरुण धवन ने इस दिन को खास बनाने के लिए अपने पिता को एक शानदार गिफ्ट दिया है।
किशोर कुमार: आती रहेंगी बहारें

किशोर कुमार: आती रहेंगी बहारें

मध्य प्रदेश के खंडवा में एक बंगाली परिवार में जन्म लेकर सपनों के शहर मुम्बई तक 'आभास कुमार गांगुली से 'किशोर कुमार' बनने तक का सफर तय करने वाले सदाबहार किशोर कुमार का आज 88वां जन्मदिन है।
कैटरीना कैफ: बूम से लेकर धूम तक

कैटरीना कैफ: बूम से लेकर धूम तक

19 बरस की उम्र, पराया देश, अंजान शहर, पहली फिल्म मिली पर चली नही, हिंदी भी आती नहीं, पर फिर भी सफलता के सपने देखना छोड़ा नही और आज बॉलीवुड की चंद हाईएस्ट पेड एक्ट्रेसस में से एक है।
बिमल रॉय: इंदिरा गांधी भी थीं जिसकी फैन

बिमल रॉय: इंदिरा गांधी भी थीं जिसकी फैन

11 फिल्मफेयर अवार्ड और छः नेशनल फ़िल्म अवार्ड, सिनेमा ऐसा कि उसकी नकल इटैलियन सिनेमा और हॉलीवुड तक ने की। जमींदारों के परिवार मे जन्म लिया पर फिल्में बनाईं गरीबी और औरतों के शोषण पर, कलकत्ता से मुम्बई तक की यात्रा और 50 के दशक में कांस फिल्म फेस्टिवल में सम्मान।
Advertisement
Advertisement
Advertisement