कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिकाओं के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि जनता का धन कैसे खर्च किया जाए, इसकी मंजूरी देने का अधिकार केवल संसद को है और वही यह कानून बना सकती है कि सांसदों को कितनी पेंशन दी जा सकती है।
सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को अदालत द्वारा रोक दिए जाने पर राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यायपालिका की आलोचना तेज कर दी है और कहा है कि यदि कुछ होता है तो उसका दोष संघीय न्यायाधीश और अदालत पर लगाया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पार्श्वनाथ डेवलपर्स को निर्देश दिया कि वह सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राजवेन्द्र सिंह राठौर को दो दिन के भीतर गुडगांव परियोजना में फ्लैट का कब्जा सौंपे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी राठौर को दो दिन के भीतर फ्लैट का कब्जा दिया जाये। पीठ ने यह भी कहा कि राठौर को अब इस डिवलपर्स को कोई भी अतिरिक्त पैसे का भुगतान नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने कानून मंत्रालय से ऐसे कामकाज से राहत देने के लिए आग्रह किया है, जिससे परहेज किया जा सकता हो। सीजेआई ने कानून मंत्रालय से इसके लिए तंत्र तैयार करने की गुजारिश भी की है। ठाकुर ने कहा कि सरकार के विभागों द्वारा निर्णय लेने में उदासीनता और अक्षमता दिखाने की वजह से ‘अनावश्यक बोझ’ पैदा होता है।
केंद्र सरकार भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की जजों की संख्या बढ़ाने की मांग को कुछ हद तक पूरा करने जा रही है। इसीलिए सरकार ने कोलेजियम की कुछ मांगों पर अमल करते हुए न्यायविदों और वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त करने की कैप हटा दी है। हालांकि, सरकार ने उच्च न्यायापालिका नियुक्ति की प्रक्रिया के अन्य दिशा-निर्देशों को सख्त ही रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में न्यायाधीशों की नियुक्ति का उल्लेख नहीं होने को लेकर प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर द्वारा निराशा जताए जाने पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री को शीर्ष न्यायाधीश की सलाह पर ध्यान देना चाहिए।
देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच लगता है तकरार अभी भी चल रही है। इसकी झलक स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिखाई दी। देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर ने पीएम के भाषण में एक बेहद जरूरी मुद्दे का जिक्र नहीं करने पर निराशा जताई। जस्टिस ठाकुर ने जजों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है।