भगौडे घोषित किए जा चुके विजय माल्या सोमवार को अचानक विराट कोहली की डिनर पार्टी में नजर आए। जब वहां मौजूद भारतीय खिलाड़ियों ने माल्या को भाव नहीं दिया तो माल्या जल्दी ही वहां से निकल लिए।
भारत ने एक अद्भुत अंतरिक्ष कूटनीति को अपना कर आगे बढ़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहली बार भारत दक्षिण एशियाई देशों को 450 करोड़ रूपये के एक खास तोहफे के जरिए लीक से हटकर अतंरीक्ष कूटनीति को आजमा रहा है।
दक्षिण गोवा के बेनौलिम गांव में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारतीय तट रक्षक दल को अरब सागर में हवाई और समुद्र में निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मरीन पुलिस के कर्मियों को राज्य की नदियों में तैनात किया गया है। नौसेना के मार्कोस कमांडो को अलर्ट पर रखा गया है।
उड़ी में हुए आतंकी हमला और उसके बाद एलओसी के पार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के छाए में हो रहे इस सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा हावी रहने की संभावना है। भारत की तरफ से यह मुद्दा जोर-शोर से उठाए जाने की तैयारी है और इस मुद्दे पर चीन को साथ लेने की पूरी राजनयिक तैयारी है। इस सम्मेलन में भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी राजनयिक मुहिम जारी रखेगा भारत।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली के 7 रेस कोर्स रोड स्थित अपने आवास पर आरएसएस के प्रचारकों के लिए एक भोज का आयोजन किया। गौरक्षकों पर सख्त बयान के बाद मोदी की इस दावत को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री अपनी पार्टी के सांसदों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहे हैं। भाजपा नेताओं को इस तरह नजरअंदाज किए जाने के बाद आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आम जनता को अपनी समस्याओं के निवारण के लिए कितनी जेहमत करनी पड़ती होगी। मंत्रियों की ऐसी मनमानी की शिकायत पीएम मोदी के पास पहुंची तो उन्होंने तुरंत मंत्रियों को नसीहत दी है कि वो पार्टी सांसदों से बाकायदा डिनर पर मिले और उनकी समस्याओं का निपटारा करें।
इराक के मुसोल इलाके में डेढ़ साल से आतंकी संगठन आईएसआईएस द्वारा बंदी बनाए गए 38 भारतीयों के परिजनों के हाल-बेहाल, पेरिस पर आतंकी हमले के बाद अपने लोगों को जिंदा देखने की आस भी हुई कम, केंद्र की कूटनीतिक विफलता से नाराजगी
क्या बिना मीट परोसे आप किसी को सिर्फ मीट मसाला खिला सकते हैं? कूटनीतिक और राजनयिक समाचार कथाओं के संदर्भ में भारतीय मीडिया अक्सर यही करता है। वह मसाला चखाने के चक्कर में मीट परोसना भूल जाता है। विदेश नीति और राजनय से संबंधित घटनाक्रम अक्सर आम जनजीवन से इतने दूर और ओट में होते हैं कि आम दर्शक अमूमन मसाले को ही मीट समझने की भूल कर बैठता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की राजनयिक कथा में मंगोलिया दौरे की उपकथा की अहमियत भारतीय मीडिया की नजरों से ओझल रही और यह अहम उपकथा आम भारतीय दर्शक या पाठक की प्लेट में परोसी ही नहीं गई।