लगातार हो रही बारिश के चलते देश के कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। हिमाचार प्रदेश में बारिश के कारण फिर से भूस्खलन हुआ। असम में भी बाढ़ के हालात गंभीर बने हुए हैं और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रविवार को भी बारिश जारी रही। गुजरात के मोरबी जिले के टनकारा तालुका में अधिक बारिश होने से कई डैम में जलस्तर बढ़ गया जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। राजस्थान के जोधपुर में मूसलाधार बारिश से दोपहिया वाहन सड़कों पर तैरते नजर आए। लोगों ने दुकानें नहीं खोली और घरों में कैद रहे। मानसून की पहली बारिश में सड़कों पर नदी नालों की तरह पानी बहा। इसमें बहती गाड़ियों को पकड़ने के लिए लोग मशक्कत करते रहे।
श्रीलंका में मूसलाधार बारिश के बाद आई भारी बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 91 लोगों के मरने जबकि 110 लोगों के लापता होने की खबर है। साल 1970 के बाद यह अब तक की सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा है। श्रीलंका में तुरंत राहत पहुंचाने के लिए आईएनएस किर्च को कोलंबो की ओर रवाना कर दिया गया है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अपने देश में प्रवासियों को अनुमति देकर एक भयावह गलती की है। ट्रंप ने शरणार्थी संकट को पहले से मौजूद परेशानियों को और बढ़ाने वाला कारक बताते हुए कहा कि इसी वजह से पिछले साल ब्रिटेन में यूरोपिय संघ से अलग होने के लिए मतदान हुआ था।
बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है। राज्य में बाढ़ से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इससे प्रदेश के 10 जिलों के 17.85 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हैं।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अनेक भागों में पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार तेज बारिश से कई निचले स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बन गई है। करीब आधे मध्यप्रदेश में तो पानी ही पानी हो गया है। कई नदियां उफान पर है। 16 जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वर्षा और बाढ़ से प्रदेश में अब तक 15 लोगों की मौत हुई है।
उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश, बादल फटने और बाढ़ से अब तक 29 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। वहीं मरने वालों की तादाद और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। पिथौरागढ़ से ही 11 लोगों के मरने की ख़बर है, जिनमें 3 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।
तीन साल पहले 16 जून की रात केदारनाथ में हुई भारी जल प्रलय के निशान अब मिटने लगे हैं। केदारनाथ मंदिर के पास शांत बह रही मंदाकिनी के नवनिर्मित किनारे श्रद़धालुओं में शायद यही संदेश दे रहे हैं, कि जख्म कितना भी घातक हो, वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है। प्रलयंकारी उफान में 11,755 फुट की उंचाई पर स्थित हिमालयी धाम के डूबने के साथ ही देश भर से आये श्रद़धालु, पुजारी, व्यापारी और स्थानीय लोगों सहित करीब 5000 जिंदगियां बह गई थीं। रह गयी थी बस चीख और पुकार तथा अपनों का क्रंदन। उस मातमी माहौल को केदारनाथ की महिमा ने पीछे कर दिया है।