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चश्मा नहीं, नज़रिया बदलिए

चश्मा नहीं, नज़रिया बदलिए

सूज़ी और मैं दो साल से डेटिंग कर रहे थे। वी आर इन लव। कभी पिक्चर-विक्चर, कभी लेक्चर-शेक्चर...। लड़कियों को सूज़ी बहुत पसंद थी, पर लड़के... अबे ये कौन है ? ( कॉलेज में एक लड़का हंसी उड़ाता हुआ बोलता है) गर्ल फ्रेंड है मेरी, तेरी भाभी होने वाली है (विज्ञापन का हीरो बोलता है) चश्मा चेक करा ले अपना...(वही पहला लड़का बोलता है)...सब जलते थे...(हीरो) नंबर चेक कराले तेरा (दूसरा लड़का बोलता है)। …फिर मैंने सुना कि Lenskart.com पर लेज़र प्रोसिज़र से बने लेंस मिलते हैं.....सोचा यहीं से ले लेते हैं (और सही लेंस चूज़ करते ही हीरो की चीख़ निकल जाती है यानी हक़ीकत सामने आ जाती है)। ...सूज़ी (अंत में विज्ञापन का हीरो अफसोस के साथ)।
ठंडा माने एक अधूरी इच्छा

ठंडा माने एक अधूरी इच्छा

5 अक्टूबर 1955 को जन्म। छह कहानी संग्रह, 3 उपन्यास और एक कविता संग्रह। पहली कहानी सन 1978 में सारिका में प्रकाशित। दूरदर्शन और आाकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों द्वारा कहानियों पर टेलीफिल्म और रेडियो नाटकों का निर्माण। कई कहानियों का भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में कहानियां अनूदित।
उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ सौ साल की हो गई है। यह सिर्फ प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि मासूम प्रेम की अभिव्यक्ति है। उसने कहा था गुलेरी जी ने सन 1915 में लिखी थी। सौ साल बाद भी इस कहानी की न रुमानियत खत्म हुई न मासूमियत।
कहानी - उदासी का कोना

कहानी - उदासी का कोना

पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कई पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें ‘संस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध, ‘तीसरा रुख’, ‘विचार का अनंत’, ‘शिवदान सिंह चौहान’, ‘कबीर : साखी और सबद’, ‘मजबूती का नाम महात्मा गांधी’ (गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के वार्षिक भाषण का पुस्तक स्वरूप) 'अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय' प्रमुख हैं। प्रो॰ अग्रवाल की पुस्तक 'अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय' बहुत चर्चित पुस्तक रही है। वह एक प्रखर चिंतक और आलोचक हैं। उनका यात्रा-वृत्तांत ‘हिंदी सराय : अस्त्राखान वाया येरेवान' प्रकाशित हुआ है।
42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

करीब 42 सालों से जिंदा लाश की तरह केईएम अस्पताल के वॉर्ड नंबर 4 में भर्ती अरुणा शानबाग की मौत हो गई। तीन दिन पहले उन्हें निमोनिया के चलते आईसीयू में रखा गया था।
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