पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि आंदोलनकारियों को समझना चाहिए कि जेएनयू ही पूरा देश नहीं है और देशद्रोहियों के खिलाफ माहौल बनने से भाजपा को फायदा है
देशद्रोह के आरोपी जिन पांच छात्रों की पुलिस खोज कर रही है, उनके परिसर में दोबारा दिखाई देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई है।
यूजीसी पर कब्जा आंदोलन देश भर में फैल रहा है। छात्रों के बीच आक्रोश उफान पर है। सरकार की छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन एक तरह से बड़े राजनीतिक सवालों को भी उठा रहा है।
देश की उच्च शिक्षा नियामक संस्था केंद्रीय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दस ऐसे प्रमुख संस्थानों को आदेश जारी किया है कि वे अपने कैंपस से अन्यत्र केंद्रों को तत्काल बंद कर दें। इन प्रमुख संस्थानों में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च एवं होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट, नरसी मुंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज यूनिवर्सिटी, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स पिलानी) तथा बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा शामिल हैं।
अर्थशास्त्री, लेखक, प्रोफेसर, वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए जाने की संभावनाओं पर दिन भर सोशल मीडिया पर तीखी बहस जारी रही। मीडिया में आई खबरों के अनुसार मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके लिए स्वामी का नाम प्रस्तावित किया है। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। इसमें कितनी सच्चाई है यह भी नहीं पता लेकिन दिनभर इसपर तीखी प्रतिक्रियाएं आती रहीं-