पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई के इस्तीफे से माओवादी पार्टी में दो-फाड़ की आशंका तेज, भारत का सीमा पर दबाव बढ़ा, आपूर्ति रोकने से जरूरी चीजों का संकट
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए बुलाकर वार्ता को बड़ा झटका दिया है।
केंद्र सरकार की उत्तर पूर्व पर ध्यान देने की नीति के परिणाम दिखने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले बांग्लादेश के साथ दशकों से अटके पड़े भूमि समझौते को अंजाम दिया और अब नगालैंड में शांति बहाल करने के लिए वहां के प्रभावशाली संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) (आईएम) के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर हो गए हैं। इस समझौते के बाद अब नगालैंड में बंदूकों की आवाजें खामोश हो जाएंगी और राज्य के विकास को गति मिलेगी।
चार दशक से अधिक समय तक इंतजार के बाद भारत और बांग्लादेश अपने ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते का क्रियान्वयन होने के साथ कल से 162 एन्क्लेवों का आदान-प्रदान शुरू करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत में दोनों देशों के संबंधों में समस्या पैदा करने वाले मसलों को भी उठाया। इस दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की ओर से बड़े पैमान पर निवेश पर उन्होंने चिंता जताई जबकि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने के संदर्भ में वीजा मसले पर ठोस प्रगति की उम्मीद चाही।
पाकिस्तान के साथ लगने वाली समुद्री सीमा पर बढ़ते संकट के मद्देनजर भारतीय नौसेना गुजरात के पोरबंदर के पास एक नया नौसैन्य अड्डा बनाएगी ताकि क्षेत्र में निगरानी एवं सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जा सके।