Advertisement

Search Result : "Prabhat Patnaik"

गरीबी दूर करने की मेहनत रंग लाई

गरीबी दूर करने की मेहनत रंग लाई

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पिछले 17 वर्षों से ओडिशा की राजनीति की धुरी बने हुए हैं। वे राज्य विधानसभा के चार चुनाव लगातार जीत चुके हैं। विकास के विभिन्न मानकों पर राज्य ने उनकी अगुआई में काफी तेज छलांग भरी है।
अर्थशास्त्रियों की राय, नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा

अर्थशास्त्रियों की राय, नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा

विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने आज कहा कि भारत सरकार का 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा।
कालाहांडी के बाद बालासोर, लाश की हड्डियां तोड़ गठरी बनाकर बांस के डंडे से ढोया

कालाहांडी के बाद बालासोर, लाश की हड्डियां तोड़ गठरी बनाकर बांस के डंडे से ढोया

एंबूलेंस नहीं देने के बाद ओडिशा के कालाहांडी में पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के मामले पर अभी भी बहस जारी है, इसी बीच इसी तरह का एक और प्रकरण सामने अाया है। राज्‍य के बालासोर में अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन तक पहुंचाया गया।
हरीश रावत मंत्रिमंडल का विस्तार, नवप्रभात और भंडारी को दिलाई शपथ

हरीश रावत मंत्रिमंडल का विस्तार, नवप्रभात और भंडारी को दिलाई शपथ

कांग्रेस संगठन और विधायकों के दबाव के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए दो कांग्रेस विधायकों नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को उसमें शामिल कर लिया। विकासनगर से विधायक नवप्रभात और बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी को सुबह राजभवन में आयोजित एक सादा समारोह में राज्यपाल डाॅ. कृष्णकांत पाल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह के दौरान मुख्यमंत्री रावत के अलावा उनके मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगी भी मौजूद थे।
चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं। कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने। इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement