'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
फिदेल कास्त्रो ने 1983 के गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में इंदिरा गांधी से गले मिलकर उनका अभिवादन किया था जो उनके भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करता था। भारत इस विख्यात जूझारू नेता को सदैव अपने एक बड़े मित्र के रूप में देखता रहा है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को गरीबों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मथुरा में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे की सपा सरकार राज्य को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सकती। उन्होंने भाजपा को मौका देने की अपील करते हुए पूछा कि प्रदेश की जनता कब तक बसपा के भ्रष्टाचारी शासन और सपा के गुंडाराज को झेलती रहेगी।
जम्मू-कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग रखी है। उनका कहना है कि उन्हें स्थाई रूप से बसाया जाए और उनके लिए अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए। संगठन का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को कोई दूसरा हल स्वीकार नहीं होगा।
कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के लिए भाजपा ने कुछ नहींं किया। कश्मीर घाटी से भाग कर आए पंडित जम्मू में पिछले कुछ दिनों से राहत और पुनर्वास आयुक्त के दफ्तर पर धरना दे रहे हैं। धरने पर वो प्रशासन के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी विरोधी नारे भी लगा रहे हैं।
अलगाववादियों ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कश्मीरी पंडितों से घाटी में उनकी वापसी पर चर्चा करने का फैसला किया है। आतंकवाद के चलते 26 साल से भी ज्यादा पहले घाटी छोड़ने को विवश हुए समुदाय को वापस लाने का अलगाववादियों का यह पहला गंभीर प्रयास है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की थी। परंतु उसके लगभग दो सौ साल बाद कुमाऊं में अल्मोड़ा के पंडित देवीदत्त जोशी ने ब्रजभाषा में श्री रामलीला नाटक लिख कर एक अनूठा प्रयोग किया। पूरी तरह गेयशैली में लिखे गए इस नाटक में उन्होंने अनेक स्वरचित गीत डाले।