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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हड़ताल से आम लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हड़ताल से आम लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने उपभोक्ताओं को पहले ही बता दिया था कि अगर हड़ताल होती है तो शाखाओं में कामकाज प्रभावित हो सकता है।हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के तत्वाधान में विभिन्न यूनियनों ने किया है।
देश में कर्जदार हैं लगभग 4.69 करोड़ किसान, औसतन 3.20 लाख रुपये का कर्ज

देश में कर्जदार हैं लगभग 4.69 करोड़ किसान, औसतन 3.20 लाख रुपये का कर्ज

एक तरफ तो यह नीतियां किसान को कर्जदार बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर किसानों को कम समर्थन मूल्य और खुले बाजार को ताकत देकर किसानों को ऐसी स्थिति में पंहुचाती है, जहां वे ब्याज तो छोड़िये, मूलधन भी चुकाने की स्थिति में नहीं रह जाते हैं।
CAG ने जताया सार्वजनिक बैंकों की फंड जुटाने की क्षमता पर संदेह

CAG ने जताया सार्वजनिक बैंकों की फंड जुटाने की क्षमता पर संदेह

कैग ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि अब तक जनवरी 2015 में मार्च 2017 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बाजार से केवल 7,726 करोड़ रुपए जुटाए। इससे 2019 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाए जाने की संभावना को लेकर संदेह है।
जनता का भरोसा जीतने के मामले में भारत विश्व में नंबर वन: फोर्ब्स

जनता का भरोसा जीतने के मामले में भारत विश्व में नंबर वन: फोर्ब्स

विश्व में मोदी सरकार की लोकप्रियता किस हद तक बढ़ी है इसका सबूत जानी-मानी कंपनी फोर्ब्स ने एक ट्वीट के माध्यम से पेश्‍ा ‌किया है। फोर्ब्स ने अपने ट्वीट में बताया है कि अपनी वर्तमान सरकार पर भरोसा करने वाले देशों में भारत पहले नंबर पर है।
सरेआम ये क्या कर रहे हैं केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक

सरेआम ये क्या कर रहे हैं केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक

हाल ही में एक ओर जहां भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर हैं तो वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी सरेराह अपनी एक ऐसी हरकत के कारण इंटरनेट यूजर्स का शिकार हो रहे हैं।
बैंकरो का आरोप, ‘जान-बूझकर किसान नहीं चुकाते बैंकों का कर्ज’

बैंकरो का आरोप, ‘जान-बूझकर किसान नहीं चुकाते बैंकों का कर्ज’

किसान कर्ज माफी को लेकर चल रहे विवादों के बीच बैंकरों का कहना है कि किसान सरकार द्वारा कर्ज माफी की उम्मीद में जानबूझकर बैंक द्वारा लिया गया लोन नहीं चुकाते हैं।
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