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दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित राजकमल चौधरी रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवें खंड में निबंध-नाटक और अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है।
इश्क वाकई में न्यूज नहीं

इश्क वाकई में न्यूज नहीं

फेसबुक फिक्शन श्रृंखला की दूसरी किताब इश्क कोई न्यूज नहीं को पाठकों के बीच लाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस पुस्तक का प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के बाद अनौपचारिक रूप से लांच किया गया।
लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

आलोचना (त्रैमासिक) पत्रिका के अंक 53-54 के प्रकाशन के उपलक्ष्य में ‘भारतीय जनतंत्र का जायजा’ विषय पर साहित्य अकादमी-सभागार में आयोजित परिचर्चा में युवाओं की भागीदारी जबरदस्त रही। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य अकादमिक संस्थानों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। युवाओं ने जनतंत्र से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। एक युवा ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्यों ‘आलोचना’ पहले जैसी नहीं होती ! जिसकी आलोचना होती है वह और मजबूत क्यों हो जाता है।
‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।