फेमस हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब अपने विज्ञापन के जरिए हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर विवादों में घिर गए हैं। इस मामले को लेकर जावेद के खिलाफ शुक्रवार को एक केस भी दर्ज कराया गया है।
मार्क्सवादी इतिहासकार इरफान हबीब के एक पत्र के जवाब में माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश कारात ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने नाम लिए बगैर इरफान हबीब के साथ ही महासचिव सीताराम येचुरी को भी आड़े हाथों लिया है।
स्त्री अस्मिता को लेकर भारत में शुरू हुए स्त्रीवादी आंदोलनों और महिला अधिकारों की बहसों की शुरुआत के बाद से स्त्रीवादी कविता में उसके सरोकारों की भी बात होने लगी। हालांकि, उसके पहले भी स्त्रीवादी कविताएं लिखी जाती थीं, लेकिन तब उसमें स्त्री अधिकारों और सरोकारों की बातें कम होती थीं, स्त्री सौंदर्य और स्त्री प्रेम की बातें ज्यादा होती थीं।
‘हंस’, ‘वर्तमान साहित्य’, ‘परिकथा’, ‘उद्भावना’, ‘वागर्थ, ‘समरलोक, अभिव्यक्ति, सुखनवर, लोकगंगा, युगतेवर, लोक संवाद और दैनिक जागरण में कहानी प्रकाशित। कहानी संग्रह - ‘बंद कमरे की रोशनी।’ अनेक लेखकों की महत्वपूर्ण कृतियों की दर्जनों समीक्षाओं के अलावा नाट्य समीक्षाएं। नाटक एवं नाट्य रुपांतरण। प्रेमचंद, मंटो, ज्ञानप्रकाश विवेक आदि की कई कहानियों का नाट्य रुपांतरण ‘संकेत रंग टोली द्वारा मंचित। ‘जन सिनेमा द्वारा निर्मित एवं ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानी ‘कैद’ पर बनी हिंदी फिल्म के लिए पटकथा एवं संवाद लेखन।
यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।