रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने नीतिगत दर में कटौती का संकेत देते हुए कहा है कि केंद्रीय बैंक अभी भी समायोजन के दौर में है और मुद्रास्फीति तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आगे निर्णय करेगा।
वीरमगाम के मासूम से दिखने वाले 22 वर्षीय हार्दिक आरक्षण के मुद्दे पर एक ओर सरकार के निशाने पर हैं तो पिछले तीन दिनों से इन्होंने हिंदी में भाषण देकर सुर्खियां भी बटोरी हैं। अब आगे हार्दिक की क्या योजना है इस पर उन्होंने उषा चांदना से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंशः
देश में किसानों की आत्महत्या के मामलों में व्यापक कमी आने संबंधी केंद्र सरकार के दावों से उच्चतम न्यायालय आज संतुष्ट नहीं हुआ और उसने कहा कि एक भी ऐसा मामला नहीं होना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने आठ साल पुरानी कृषि नीति पर फिर से गौर करने के बारे में केंद्र से जवाब मांगा है।
1990 में जब प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशाें को लागू करने का कदम उठाया तो उस समय पूरी सियासत ही गरमा गई। जगह-जगह वीपी सिंह के पुतले फूकें जा रहे थे और उनकी सरकार भी गिरा दी गई। पच्चीस साल बाद भी मंडल आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। मंडल आयोग की रिपोर्ट में 13 अनुशंसाएं की गई थीं लेकिन दो ही अनुशंसाएं लागू हो पाईं।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के पच्चीस साल पूरे होने पर आरक्षित कौमों को बधाई देता हूं। साथ ही मैं सुप्रीम कोर्ट का भी शुक्रगुजार हूं कि आरक्षण को लेकर कई तरह की बाधाएं पैदा हुई लेकिन हर बात जीत हमारी हुई। जिस दिन मंडल कमीशन लागू किए जाने की घोषणा हुई उस दिन से लेकर आज-तक लगातार किसी न किसी कारण से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाती रही है। लेकिन इसमें जीत हमेशा आरक्षित कौमों की हुई।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत ब्याज दर में कटौती करेगा, बशर्ते उसे यह भरोसा हो जाए कि इस कटौती के बाद भी मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से नीचे बनी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक पीओ प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले जाट आवेदकों की उस अपील को आज खारिज कर दिया जिसमें इन आवेदकों ने ओबीसी आरक्षण की मांग की थी। इन आवेदकों ने जाट आरक्षण को सर्वोच्च अदालत द्वारा रद्द कर दिए जाने से पहले ओबीसी श्रेणी में बैंक पीओ प्रवेश परीक्षा के अलग-अलग स्तर पर सफलता हासिल कर ली थी मगर आरक्षण रद्द हो जाने के कारण इन्हें अंतिम रूप से नौकरी नहीं दी गई।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक संगठन ने शिक्षा नीति में बदलाव कर संस्कृत या अन्य शास्त्रीय भाषाओं जैसे अरबी, फारसी, लैटिन और ग्रीक को कम से कम चार वर्ष तक स्कूली शिक्षा में अनिवार्य बनाने की सलाह दी है।