राजस्थान उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अभिनेता सलमान खान की एक याचिका को मंजूर कर बॉलीवुड के दबंग को थोड़ी राहत दी है। इस याचिका में खान ने गवाहों के पुनर्परीक्षण किए जाने की इजाजत मांगी थी।
दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
हरफनमौला, बिंदास, दबंग, जिंदादिल या फिर दरियादिल, जैसे उपनाम उन्होंने नहीं बनाए बल्कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता में खुद-ब-खुद ये सारे जुड़ते चले गए। ढाई दशक से ज्यादा वक्त बॉलीवुड में राज करने वाले सलमान भाई इस बार निर्देशक कबीर खान के साथ अपनी पहली होम प्रोडक्शन बजरंगी भाईजान के संग हाजिर हैं। हर दिल अजीज इस बेबाक अभिनेता ने महबूब स्टूडियो में पुरानी यादो में डूबते -उतरते अपनी इस लंबी अभिनय यात्रा के खटटे्-मीठे अनुभवों को बांटा।
तीनों खान बंधुओं को लेकर चाहे जितनी भी अफवाहें उड़ें लेकिन एक बात तो तय है कि वे तीनों कभी-कभी एक-दूसरे की तारीफ भी कर दिया करते हैं। इस बार आमिर खान ने कहा है कि वह बजरंगी भाईजान देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते।
अनुशासनात्मक कार्रवाई और निष्कासन की चेतावनी से बेपरवाह एफटीआईआई के छात्रों ने कहा है कि 35 दिनों से चल रहा उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती। उनकी एक प्रमुख मांग टीवी कलाकार गजेंद्र चौहान को इस संस्थान के अध्यक्ष पद से हटाने की है।
बजरंगी भाईजान फिल्म के संगीत को जारी करते हुए हुए फिल्म के निर्देशक कबीर खान ने कहा कि अगर सलमान कश्मीर में शूटिंग कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है। अब इस कहने के मायने क्या हैं यह तो कबीर खान ही जानें। आखिर सलमान में ऐसा क्या है जो वह कश्मीर जाएंगे तो बाकी भी जा सकते हैं। खैर सलमान खान ने पहली बार घाटी में लंबे समय तक फिल्म की शूटिंग की और उनका अनुभव काफी अच्छा रहा।
राष्ट्रपति भवन में चाहे और बहुत कुछ हो मगर सफाई जरा कम है। हाल ही में जारी स्वच्छता अभियान रेटिंग में राष्ट्रपति भवन पिछड़ गया है। राष्ट्रपति भवन को हैदराबाद हाउस, विज्ञान भवन और जवाहरलाल नेहरू भवन ने पछाड़ा है।
सलमान चाहें तो सन 2015 को मुकदमे वर्ष के रूप में मना सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने के लिए उनके पास पर्याप्त कारण हैं। मुकदमे तो उन पर बहुत से हैं, पुराने भी हैं पर इस बार वह जितनी बार अदालत गए, पेशी के लिए समय निकाला उतनी बार वह कभी अदालत नहीं गए।
रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। यह मुकद्दस महीना खत्म होते-होते मीठी सेवइयों की खुशबू हवा में तैरने लगेगी। और एक बात जो फिजाओं में होगी वह है बजरंगी भाई जान के जलवे।