बंसी कौल ने कला जगत में कई बिरवे रौंपे। ये रौंपे अब वृक्ष बन कर लहलहा रहे हैं। अभिनय की नाल से निकले हजारों खिले हुए कमलों ने उनका नाम रोशन कर दिए। उन्हीं बंसी कौल के रंगकर्म पर हुआ अनूठा कार्यक्रम।
यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
देश में असहिष्णुता के कारण बढ़ती बेचैनी पर अपनी टिप्पणी के लिए अभिनेता आमिर खान चौतरफा आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं। जहां भाजपा ने उनके बयान को देश को बदनाम करने की कांग्रेस की गहरी राजनीतिक साजिश करार दिया वहीं हिंदू सेना ने मुंबई स्थित उनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन कर उनसे टिप्पणी वापस लेेने की मांग की।
वकील से प्रशासक बने शशांक मनोहर को भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई का निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया। इसी के साथ बीसीसीआई में नए युग की शुरूआत हुई और एन श्रीनिवासन का इस धनाढ्य खेल संस्था पर से दबदबा समाप्त हो गया।
बीसीसीआई ने अपने नए अध्यक्ष के चयन के लिए 4 अक्तूबर को आमसभा की विशेष बैठक बुलाई है जिसमें नागपुर के वकील शशांक मनोहर सभी की पसंद के उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना भले ही मिलकर सरकार चला रहे हों मगर अब यह साफ हो चुका है सहयोग का यह भाव सिर्फ सरकार चलाने तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि दोनों पार्टियां एक दूसरे को पटकनी देने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यूपीए के समय हुए 126 राफेल विमान के सौदे को अव्यावहारिक और खर्चीला करार दिया है। अब सरकार फ्रांस से सिर्फ 36 लड़ाकू विमान खरीदेगी।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सुरक्षा कारणों से सशस्त्र बलों में कॉम्बेट अभियानों के लिए महिलाओं की भर्ती करने से इंकार किया है लेकिन कहा कि अन्य संचालन क्षेत्रों से जुड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दूसरी बार मंच साझा न किए जाने का के कारण जनता दल यूनाइटेड जद (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ आने में आ रही अडचनों को लेकर चल रही अटकलों को बल मिला है।
देश के संवैधानिक प्रमुख की हैसियत से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजधानी दिल्ली में गहराते संवैधानिक संकट को देखते हुए अब और निष्क्रियता और चुप्पी की आरामतलबी गवारा नहीं कर सकते। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के उसके खिलाफ विधान सभा का सत्र बुलाने के निर्णय से केंद्र और दिल्ली सरकार का टकराव अब उस कगार पर पहुंच गया है कि बिना न्यायपालिका या राष्ट्रपति जैसी उच्च संवैधानिक संस्थाओं की पंचायती के किसी परिपक्व संवैधानिक हल की उम्मीद नहीं।