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अस्पष्ट शब्द वाले कानूनों से असंतोष को दबाता है भारत: मानवाधिकार समूह

अस्पष्ट शब्द वाले कानूनों से असंतोष को दबाता है भारत: मानवाधिकार समूह

मानवाधिकार समूह द ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि भारत राजद्रोह और आपराधिक मानहानि जैसे अस्पष्ट शब्दों वाले कानूनों का इस्तेमाल नियमित रूप से असंतोष को दबाने के लिए राजनीतिक हथियार के तौर पर करता है। एचआरडब्ल्यू ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह ऐसे कानूनों को रद्द करे जिनका इस्तेमाल शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को गैरकानूनी घोषित करने के लिए किया जाता है।
दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने पर केजरीवाल को कोर्ट ने किया तलब

दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने पर केजरीवाल को कोर्ट ने किया तलब

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आरोपी के रूप में तलब किया है। मजिस्ट्रेट ने आदेश देते हुए कहा कि प्रथम दृष्ट्या उन्होंने अपराध किया था।
कैंपस से निकली विचारों की आंधी

कैंपस से निकली विचारों की आंधी

छात्र राजनीति का इतिहास बहुत पुराना है। राष्ट्र के नव-निर्माण से लेकर आज तक यह जारी है। हाल में भारत के विश्वविद्यालयों से एक आंधी उठी है जो हो सकता है देश की राजनीति के लिए बवंडर साबित हो
प्रणब ने मानी सरकार की बात, वीसी को बर्खास्त किया

प्रणब ने मानी सरकार की बात, वीसी को बर्खास्त किया

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आखिरकार सरकार की बात माननी पड़ी। देश के इतिहास में पहली बार केंद्रीय विश्वविद्यालय के किसी कुलपति को राष्ट्रपति ने बर्खास्त किया है। यह मामला केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद विश्व भारती के कुलपति सुशांत दत्तागुप्ता को हटाने से जुड़ा है।
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
खुल गए पुस्तक मेले के दरवाजे

खुल गए पुस्तक मेले के दरवाजे

सबसे ज्यादा प्रतीक्षित कार्यक्रम का अवॉर्ड यदि पुस्तक मेले के नाम किया जाए तो भी गलत नहीं होगा। किसी भी पर्व-त्योहार से ज्यादा इस मेले को लेकर उल्लास रहता है। हर साल दिल्ली के प्रगति मैदान में लाखों की संख्या में पुस्तक प्रेमी जुटते हैं।
स्त्री और सृष्टि को रेखांकित करती कविताएं

स्त्री और सृष्टि को रेखांकित करती कविताएं

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के मलवाणा गांव में 26 जनवरी 1962 को किसान परिवार में जन्म। लेखन के साथ—साथ जन संगठनों में भागीदारी। हंस, वसुधा, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, पाखी, बया, कथाक्रम, आधारशिला, विपाशा और अमर उजाला आदि में कहानियां प्रकाशित। कुछ कहानियों और कविताओं का अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी और मलयालम में अनुवाद। आकाशवाणी और दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण। दो कहानी संग्रह बाणमूठ और पहाड़ पर धूप नाम से कहानी संग्रह प्रकाशित। हंस में प्रकाशित कहानी बाणमूठ पर वर्ष 2009 का प्रतिष्ठित रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार। बाणमूठ कहानी संग्रह पर 2012 का अखिल भारतीय सेतु साहित्य पुरस्कार। हिमाचली लोकनाट्य बांठड़ा पर पुस्तक प्रकाशित। कहानी बाणमूठ और मुट्ठी भर धूल पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा देश के विभिन्न शहरों में नाटकों का मंचन। मेघदूतम नाट्य अकादमी मुंबई की ओर से कहानी शापित गांव की प्रेम कथा का बिहार के सुपौल जिले में नाट्य मंचन।
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