विकास के तमाम दावों और चकाचौंध के बीच खेती और किसानी चर्चा के पाएदान पर ही रहती है। केंद्र सरकार के एक साल पूरे होने पर जहां तमाम दूसरे क्षेत्रों की सघन पड़ताल हो रही है, वहीं कृषि पर तवज्जो कम रही। वह भी तब जब पिछले तीन-चार महीने से मौसम की मार की वजह से फसल बर्बाद होने और किसानों की आत्महत्या ने देश का ध्यान बरबस ही गहराते कृषि संकट की ओर खींचा था। नरेंद्र मोदी सरकार को एक साल में किसानों की आत्महत्या, मुआवजा, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे पर विपक्षी दलों ने घेरने की लगातार कोशिश की और इसी पर केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। इन तमाम ज्वलंत सवालों और संकट से बाहर निकलने की सरकार की रणनीति पर बिहार के मोतिहारी से पांच बार से सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के एक साल पूरा होने पर पत्र लिखकर उपलब्धियां गिनवाई है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों में छपे पत्र में प्रधानमंत्री ने देश को आगे ले जाने और विकास से जुड़े कई बिन्दुओं के बारे में चर्चा की है।
कृषि और किसानों के मुद्दों पर केंद्रित डीडी किसान चैनल का मंगलवार (२६ मई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुभारंभ करेंगे। सरकार के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में शुरू किए जा रहे इस चैनल का मकसद सरकार की योजनाओं को किसानों के बीच पहुंचाना है। साथ ही किसानों की समस्याओं से सरकार को अवगत कराना है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तीन अन्य आप नेता यहां पिछले साल एक आंदोलन के दौरान निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और जनसेवकों को उनकी जिम्मेदारी निभाने से रोकने के मामले में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए।
चौ. टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्यक्ति सिर्फ किसान था। चौ. टिकैत जनता के बीच से आए थे और अाखिरी दम तक जनता के बीच रहे। यही सादगी और खरापन उनकी पहचान बन गया। उनकी मृत्यु के बाद किसान आन्दोलन में पैदा खालीपन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।
सरकार ने शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को घेरते हुए उन पर राजनीतिक खेल खेलने और अपने निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में फूड पार्क के मुद्दे पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया जिसका कांग्रेसी सदस्यों ने जोरदार प्रतिरोध किया। इसके चलते सदन की बैठक दो बार स्थगित भी हुई।
सोनभद्र में 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों और जिला प्रशासन में खूनी संघर्ष। प्रशासन ने की परियोजना स्थल की नाकाबंदी। धरनारत ग्रामीणों पर हुई गोलीबारी की जांच करने पहुंचे स्वतंत्र जांच दल को परियोजना निर्माण समर्थकों ने दो घंटे तक बनाया बंधक।