अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट से निकाले जाने के बाद दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा को आज आम आदमी पार्टी (आप) की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया। कपिल मिश्रा द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्राी अरविंद केजरीवाल पर घूसखोरी का आरोप लगाने के बाद पार्टी ने यह एक्शन लिया है।
एमसीडी चुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से जल और पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा की छुट्टी हो गई है। कुमार विश्वास के करीबी माने जाने वाले कपिल मिश्रा की जगह नजफ़गढ़ के विधायक कैलाश गहलोत को मंत्री बनाया जाएगा, जबकि सीमापुरी से विधायक राजेन्द्र पाल गौतम भी मंत्री बनेंगे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज बिलकिस बानो केस में अपना निर्णय सुना दिया है। हाइकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखते हुए 11 आरोपियों की अपील को खारिज कर दिया।
दिल्ली एमसीडी चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के भीतर मतभेद अब खुलकर सामने आ रहा है। अब कुमार विश्वास के द्वारा सवाल उठाए जाने को लेकर जामियानगर से विधायक अमानतुल्ला खान ने विश्वास के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं केजरीवाल सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा विश्वास का समर्थन करते नजर आए।
तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को समय समय पर इंजरी नहीं होती तो वह देश के सबसे घातक गेंदबाज हो सकते थे। उनकी गति और स्विंग को देखते हुए बल्लेबाज उन्हें हमेशा सतर्क होकर खेलते हैं।
भारत के अग्रणी लेग स्पिनर अमित मिश्रा का मानना है कि बल्लेबाजों के लिये अनुकूल माने जाने वाले टी20 प्रारूप में सफल होने के लिये स्पिनर का हुनरमंद होना जरूरी है। टी20 को भले ही बल्लेबाजों का खेल माना जाता है लेकिन स्पिनरों ने भी इस प्रारूप में अपना दबदबा बनाया है और मिश्रा का मानना है कि इसके लिये धीमी गति के गेंदबाज के पास विविधता होना जरूरी है।
एम्स के पूर्व निदेशक एवं ट्रामा सेंटर के संस्थापक प्रमुख एवं जाने माने सर्जन डॉ. एम. सी. मिश्रा ने आउटलुक हिंदी से बात करते हुए बुधवार को कहा कि सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता ने मौत के साथ जंग खुद जीती है।
फैजाबाद की गायिका और नर्तकी ताराबानो फैजाबादी की कहानी से प्रेरित अनारकली ऑफ आरा ने एक बार फिर साबित किया है कि महिला यदि मन से मजबूत हो तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। स्वरा भास्कर ने इस फिल्म से अपने अभिनय के झंडे बुलंद किए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के गिरजाघरों में बाल यौन शोषण संबंधी एक जांच के जो आकंड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं और उनका बचाव नहीं किया जा सकता। इनसे पता चलता है कि वर्ष 1950 से 2010 के बीच सात फीसदी कैथोलिक पादरियों पर बाल शोषण के आरोप लगे थे लेकिन इनकी कभी जांच नहीं की गई।