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गुलजार की लकीरें

गुलजार की लकीरें

28 जून को दिल्ली का सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम गुलजार के चाहने वालों से भरा हुआ था। आखिर गुलजार के नज्मों और कहानियों का मंचन जो होने वाला था।
कागज-कलम की आदत नहीं बदल सकता: गुलज़़ार

कागज-कलम की आदत नहीं बदल सकता: गुलज़़ार

बीते पचास से भी ज्यादा वर्ष से शायरी और फिल्मी गीत लिख रहे गुलज़ार वैसे तो आधुनिक पीढ़ी के साथ लगातार तालमेल बिठाते रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि वह कलम से कागज पर लिखने की अपनी पुरानी आदत नहीं बदल सकते।
मैं कलाकार नहीं हूं: गुलजार

मैं कलाकार नहीं हूं: गुलजार

पहली बार चारकोल रेखाचित्रों के साथ सामने आ रहे मशहूर गीतकार गुलजार का कहना है कि वह खुद को कलाकार नहीं मानते हैं।
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