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प्रशांत भूषण का दावा, मुस्लिमों ने लिखे आजादी के सारे नारे-तराने, कहां थे हिंदू?

प्रशांत भूषण का दावा, मुस्लिमों ने लिखे आजादी के सारे नारे-तराने, कहां थे हिंदू?

प्रशांत भूषण जब भी कुछ कहते हैं, विवादों में आ जाते है। कश्मीर जनमत संग्रह पर दिए गए बयान पर तो उनके साथ हाथापाई भी हो गई थी।
'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए बुरी खबर, यूट्यूब से गायब हुए सारे गाने

'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए बुरी खबर, यूट्यूब से गायब हुए सारे गाने

अपनी बेसुरी आवाज और रैप से सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने वाली 'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए एक बुरी खबर है। वो ये कि 'ढिंचैक पूजा' के यूट्यूब पेज से एक गाने को छोड़कर उनके सारे गाने गायब हो गए हैं।
जगजीत ने छू लिया जिन गीतों को...

जगजीत ने छू लिया जिन गीतों को...

सुप्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह ने नवें दशक की कुछ फिल्मों में पत्नी चित्रा के साथ बेहतरीन संगीत दिया था। इसकी शुरुआत उन्होंने पहले ही कर दी थी, पर आठवें दशक में उनके द्वारा संगीतबद्ध और राजेंद्र सिंह बेदी द्वारा निर्देशित ‘अपनी धरती अपना देश’ प्रदर्शित नहीं हो पाई। इस फिल्म में उन्होंने रफी और साथियों के स्वर में बिस्मिल लुधियानवी का गीत 'वतन के जर्रे-जर्रे पर’ रेकॉर्ड किया था।
अब नमो ऐप पर पढ़ सकेंगे नीति-निर्माताओं-विश्लेषकों के आलेख

अब नमो ऐप पर पढ़ सकेंगे नीति-निर्माताओं-विश्लेषकों के आलेख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऐप पर एक ऑप-एड सेक्शन शुरू किया है ताकि शीर्ष नीति-निर्माता और प्रबुद्ध विश्लेषक इसमें आलेख लिख सकें।
संविधान के दायरे में होना चाहिए पर्सनल लॉ: जेटली

संविधान के दायरे में होना चाहिए पर्सनल लॉ: जेटली

एक साथ तीन बार तलाक बोलने को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार का विचार स्पष्ट है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में हों और उन्हें लैंगिक समानता एवं सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती, उच्च न्यायालय में आदेश सुरक्षित

अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती, उच्च न्यायालय में आदेश सुरक्षित

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर आज अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है।
गुलजार की लकीरें

गुलजार की लकीरें

28 जून को दिल्ली का सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम गुलजार के चाहने वालों से भरा हुआ था। आखिर गुलजार के नज्मों और कहानियों का मंचन जो होने वाला था।
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