धूम्रपान छोड़ने के बाद भी प्रणव मुखर्जी का पाइप के प्रति लगाव कम नहीं हुआ था। उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, सिर्फ पाइप ही पी। अब उनके द्वारा संग्रहित पांच सौ से ज्यादा पाइप राष्ट्रपति भवन में एक याद के तौर पर रह जाएंगे।
रविवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन पर आधारित 'प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी-अ स्टेट्समैन' नामक किताब का विमोचन हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने मतभेद अपने पास रखे और सरकार के कामकाज को प्रभावित नहीं होने दिया।
बायकुला जेल में बंद इंद्राणी सहित 200 कैदियों के खिलाफ रविवार को आईपीसी के तहत दंगा फैलाने, गैर-कानूनी तरीके से एकत्रित होने, सरकारी कर्मचारी पर हमला करने और अन्य संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।
ग्वालियर, मध्यप्रदेश के रहने वाले एक ‘चाय वाले’ की निगाहें राष्ट्रपति पद पर लगी हैं। इन जनाब का कहना है कि जब एक चाय बेचेने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो राष्ट्रपति क्यों नहीं।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के समाप्त होने से एक महिने पहले दो मामलों में दायर दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन दो याचिकों के खारिज होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा अब तक खारिज की गयी कुल दया याचिकाओं की संख्या 30 हो गयी है।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे देश के लोगों को किए गए वादों पर खरे नहीं उतरे। गहलोत का यह बयान उस दौरान आया जब देशभर के किसान कर्ज माफी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित एक किताब का विमोचन करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वर्गीय इंदिरा गांधी को भारत की सबसे स्वीकार्य प्रधानमंत्री बताया है। इस समय हार के दौर से गुजर रही कांग्रेस को इंदिरा गांधी का उदाहरण भी दिया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस जर्मन कार को रवाना किया, जिसमें सवार होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस कोलकाता के अपने पैतृक आवास से 1941 में अंग्रेजों को चकमा देकर नजरबंदी से भागे थे। इस कार की मरम्मत की गई है। राष्टपति इस कार में बैठे भी और कुछ दूरी तक सफर भी किया।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अब सवाल किया है कि वे यह क्यों नहीं बताते कि उन्होंने पिछला चुनाव कालेधन से लड़ा था या सफेद धन से जीत कर प्रधानमंत्री बने थे। सच्चाई बताने में कतरा क्यों रहे है देश के लोग इस सच्चाई को जानना चाहते हैं।