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समीक्षा - बॉम्बे वेल्वेट
अनुराग कश्यप अपनी फिल्में अंधेरा बुनते हैं। ऐसा अंधेरा जिससे सभी का साबका पड़ता है। लेकिन सभी दौड़ते हुए इसलिए आगे निकल जाते हैं कि शायद आगे रोशनी की किरणें हों। अनुराग फिल्मों के सिरे इतनी आसानी से पकड़ में नहीं आते कि दर्शक उन्हें पकड़ कर फिल्मों की परद में घुसता चला जाए।