सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आज कतर के साथ अपने सभी राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा की है। इन सभी देशों ने कतर पर आंतकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है।
रक्षा मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के बाद अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में रक्षा बलों के लिए बजट संबंधी जरूरतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत एवं अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत बनाने वाली साझेदारी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन करके उन्हें धन्यवाद दिया और दोनों नेताओं ने रक्षा एवं असैन्य परमाणु ऊर्जा संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के तरीकों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से संबोधित की गई एक जनसभा के दौरान सत्ताधारी भाजपा और शिवसेना के रिश्तों की दरारें उस वक्त सामने आ गईं जब दर्शकों में शामिल संभवत: कुछ भाजपा समर्थकों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का भाषण कुछ देर के लिए बाधित कर दिया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि अमेरिका के भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी का दर्जा देने के फैसले से भारत, अमेरिका का जूनियर सहयोगी बन जाएगा। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे भारतीय रक्षा बल और रक्षा उत्पादन अमेरिकी निगरानी और नियंत्रण के लिए उपलब्ध हो जाएंगे।
अगले सप्ताह रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन का भारत दौरा राजनयिक और रक्षा खरीद की तैयारियों के लिहाज से अहम रहने वाला है। गोवा में 16 अक्टूबर से शुरू हो रहे ब्रिक्स देशों की बैठक के एक दिन पहले पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है। रक्षा, सुरक्षा, कारोबार और निवेश को लेकर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने का एजेंडा इस बैठक का है।
भारत और चीन एक-दूसरे के साथ आर्थिक संबंध मजबूत कर रहे हैं। जुलाई 2016 तक चीन ने भारत में 4.1 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। दोनों देशों के बीच कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। गोवा में होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आएंगे। तब भारत और चीन के बीच कई नए व्यापारिक और आर्थिक करार होने हैं।
रिलायंस घराने के दोनों भाइयों के बीच करीबी बढ़ने के फौरी नतीजे दिखने लगे हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो और अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन के बीच बढ़ती साझेदारी बाद बारी रक्षा उत्पादन सेक्टर की है। संकेत हैं कि टेलीकॉम सेक्टर को बड़े भाई मुकेश अंबानी के नेतृत्व में छोड़ छोटे भाई अनिल रक्षा उत्पादन की अपनी कंपनी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।