एक ओर जहां महिलाओं की सुरक्षा और समानता को लेकर विभिन्न तरह की मुहिम चलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले कानूनों को ही रद्द कर दिया हैं। ट्रंप ने इन कानूनों को रद्द करने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए थे, जिनको ट्रंप ने खत्म कर दिया है।
चौतरफा दबाव के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ने तीन छात्रों के निष्कासन का आदेश वापस ले लिया है। शुक्रवार देर रात विश्वविद्यालय प्रबंधन ने लगातार विरोध के चलते फ़ीस बढ़ोत्तरी के अपने आदेश को भी संशोधित किया है। हालांकि इसकी जानकारी सोमवार तक जारी की जाएगी।
चुनावों में मतपत्रों के इस्तेमाल के लिए कानून में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन चुनाव आयोग का मानना है कि चुनाव कराने के लिए ईवीएम ज्यादा विश्वसनीय और सुरक्षित तरीका है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के नशे में धुत चार छात्रों ने लुटियन की दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कार का कथित तौर पर पीछा किया जिसके बाद छात्रों को हिरासत में ले लिया गया।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का पीछा करने वाले डीयू के चारो छात्रों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। दो आरोपी छात्रों ने मीडिया के सामने आते हुए माफी भी मांगी है। छात्रों ने गलती स्वीकारते हुए कहा कि सोशल मीडिया के लिए फनी वीडियो बनाने के चक्कर में उनसे गलती हुई है।
गोवंश सुरक्षा को लेकर गुजरात विधानसभा ने एक नया कानून पारित किया है। इसके बाद गो हत्या करने वाले को उम्रकैद की सजा होगी। वहीं गो मांस मिलने पर सात से दस साल की सजा होगी। गो मांस के साथ पकड़े जाने पर एक लाख से पांच लाख का आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने निर्धारित समय में डिग्री की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने वाले छात्रों को दिया जाने वाला विशेष अवसर का प्रावधान हटाने का फैसला किया है।
लोकसभा चुनाव में हारने के बाद राज्यसभा के रास्ते सांसद बनने पर रोक लगाने संबंधित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवालिया निशान उठाए हैं। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और विनोद गोयल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि कानून बनाना और उसमें बदलाव करना न्यायपालिका का काम नहीं है, इसके लिए सरकार को चुना जाता है। न्यायपालिका केवल इस बात की समीक्षा कर सकती है कि यह कानून देश के बुनियादी ढांचे व संविधान के अनुरूप बनाए गए हैं या नहीं।