महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरही ले जाने के लिए उसका पति स्वास्थ्य केंद्र से करीब डेढ़ घंटे तक गुहार लगाता रहा। महिला के परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला को एंबुलेंस नहीं मिली।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
मॉब लिचिंग के खिलाफ देशभर में बुधवार को प्रदर्शन हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, सहित फिल्मी जगत के लोगों ने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का पुरजोर विरोध किया। साथ ही मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून बनाने की मांग रखी।
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपने एक लेख में कहा है कि देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब शांति की अपील करने वाले बयानों को देशद्रोह का नाम दिया जा रहा है।