लैंगिक समानता के मामले में पिछले साल की तुलना में 21 स्थानों की बढ़त हासिल करने के बावजूद भारत को वैश्विक स्तर पर बेहद पिछड़ा यानी 87वां स्थान मिला है। भारत को मिली बढ़त मुख्यत: शिक्षा में हुई प्रगति के कारण है। इस सूची में आइसलैंड शीर्ष पर है।
आेलंपिक मेंं अगर मेडल लाना है तो लड़कियों को आगे लाना होगा। 98 देशों पर हुए वैश्विक अध्ययन के बाद निष्कर्ष आया है कि जिन देशों में लैंगिक समानता है वहां की लड़कियों ने ओलंपिक में ज्यादा से ज्यादा पदक बटाेेरे हैं।
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि गे, लेस्बियन और बायसेक्सुअल को तीसरा जेंडर नहीं माना गया है। कोर्ट ने अप्रैल 2014 में थर्ड जेंडर को लेकर दिए अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि सिर्फ ट्रांसजेंडर को ही तीसरे थर्ड जेंंडर के रूप में पहचान दी गई है।